Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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निर्यात की स्वीकृति: भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को फिर से शुरू करने की अनुमति दी है, जिससे वैश्विक आपूर्ति में वृद्धि होने की उम्मीद है।
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मूल्य निर्धारण नियम: सरकार ने निर्यात के लिए 490 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया है और उबले चावल पर निर्यात शुल्क को 20% से घटाकर 10% कर दिया है।
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किसानों को प्राथमिकता: बासमती चावल के निर्यात के लिए न्यूनतम मूल्य हटाने का निर्णय उन किसानों की मदद के लिए लिया गया है, जो विदेशी बाजारों में पहुंच की कमी से परेशान थे।
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भंडार स्थिति: भारतीय खाद्य निगम में चावल का भंडार 32.3 मिलियन मीट्रिक टन है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 38.6% अधिक है, और इसके परिणामस्वरूप निर्यात प्रतिबंध हटाने की जगह मिली है।
- आर्थिक लाभ: इस फैसले के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में कृषि आय बढ़ने की संभावना है, और भारत को वैश्विक चावल बाजार में अपनी स्थिति फिर से मजबूत करने में सहायता मिलेगी।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the provided content:
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Resumption of Non-Basmati Rice Exports: India has resumed exports of non-basmati white rice due to increased stock levels, with farmers preparing for upcoming harvests.
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Impact on Global Supply: The increase in rice shipments from India is expected to enhance global rice supply, potentially forcing other major exporters like Pakistan, Thailand, and Vietnam to lower their prices.
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Minimum Price and Tax Adjustments: The Indian government has set a minimum export price of $490 per metric ton for non-basmati white rice, following the removal of export taxes on white rice. Additionally, the export duty on boiled rice has been reduced from 20% to 10%.
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Support for Farmers: Recently, the government removed minimum price restrictions for basmati rice exports to assist farmers who faced difficulties accessing lucrative foreign markets.
- Increased Harvesting and Stock Levels: The local supply of rice has surged since the 2023 export ban, with significant rice stocks reported in government warehouses and an increase in cultivated rice area due to favorable monsoon rains.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
भारत ने हाल ही में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसका मुख्य कारण यह है कि देश में चावल के भंडार में वृद्धि हुई है और किसान नई फसल की कटाई के लिए तैयार हैं। यह कदम वैश्विक आपूर्ति को बढ़ावा देगा, जिससे पाकिस्तान, थाईलैंड और वियतनाम जैसे प्रमुख चावल निर्यातकों को अपनी कीमतें कम करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए 490 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया है। यह निर्णय सफेद चावल पर निर्यात कर को खत्म करने के एक दिन बाद लिया गया। इसके साथ ही, भारत ने बासमती चावल, सुगंधित चावल और उबले हुए चावल पर निर्यात प्रतिबंधों को कम करने के कई कदम उठाए हैं।
पिछले साल, अल नीनो मौसम के पैटर्न के कारण खराब मानसूनी बारिश की आशंका के चलते भारत ने चावल निर्यात पर कई प्रतिबंध लगाए थे, जिसका उद्देश्य स्थानीय कीमतों को नियंत्रित रखना था। इससे पहले यह भी देखा गया था कि भारत ने हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कदम उठाए थे, ताकि किसानों को अधिक बाजार पहुंच मिल सके।
अभी हाल ही में निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद, चावल की स्थानीय आपूर्ति में तेजी आई है, जिससे सरकारी गोदामों में स्टॉक में वृद्धि हुई है। भारतीय खाद्य निगम के अनुसार, 1 सितंबर तक चावल का स्टॉक 32.3 मिलियन मीट्रिक टन था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 38.6 प्रतिशत अधिक है। किसानों ने इस बार में 41.35 मिलियन हेक्टेयर में चावल की बुवाई की है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है।
व्यापारियों का मानना है कि इस नए निर्यात निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आय बढ़ेगी और भारत की वैश्विक बाजार में स्थिति मजबूत होगी। चावल निर्यातक संघ ने कहा है कि भारतीय सफेद चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धा बनाए रखेगा, इससे वाणिज्यिक दृष्टि से लाभ होगा।
इस प्रकार, भारत का यह निर्णय न केवल किसानों के लिए लाभकारी है, बल्कि वैश्विक चावल बाजार में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन भी लाने वाला है।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
India has granted approval to resume the export of non-basmati white rice as of Saturday, following an increase in stock levels and the impending harvest of a new crop by farmers in the upcoming weeks. Traders have noted that large rice shipments from India are expected to enhance the overall global supply, which may compel other significant rice-exporting countries such as Pakistan, Thailand, and Vietnam to lower their prices.
According to a government directive, New Delhi has established a minimum price of $490 per metric ton for non-basmati white rice exports. This decision came a day after the government removed the export tax on white rice.
The decision by New Delhi to allow traders to sell non-basmati white rice in the global market follows several steps to ease export restrictions on premium, aromatic basmati, and parboiled rice varieties. On Friday, India also reduced the export duty on parboiled rice from 20% to 10%.
Earlier this month, the government removed the minimum price for basmati rice exports to assist thousands of farmers who had expressed concerns about limited access to lucrative foreign markets in Europe, the Middle East, and the United States.
Last year, as concerns over poor monsoon rains due to the El Niño weather pattern increased, India imposed several restrictions on rice exports and extended these measures until 2024 to keep local prices under control ahead of national elections scheduled for April-June.
Since the export ban in 2023, local supplies have surged, leading to an increase in stock levels in government warehouses. As of September 1, the state-run Food Corporation of India (FCI) reported a rice stock of 32.3 million metric tons, which is 38.6% higher compared to the previous year, providing the government with ample leeway to manage rice exports.
Encouraged by abundant monsoon rains, farmers have planted rice across 41.35 million hectares, surpassing last year’s 40.45 million hectares, as well as the average of 40.1 million hectares over the past five years.
Rajesh Pahadia Jain, a trader based in New Delhi, stated that the decision to allow non-basmati rice exports would enhance agricultural income in rural areas and help India regain its position in the global market.
B.V. Krishna Rao, president of the Rice Exporters Association, remarked that despite the 10% export duty on parboiled rice and the minimum price of $490 per metric ton, Indian white rice will remain competitive in the international market.
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