Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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फसल की बुवाई में बदलाव: धौलपुर जिले के किसानों ने इस बार सरसों की बुवाई को कम किया है और गेहूँ और आलू की बुवाई को अधिक प्राथमिकता दी है। इसके पीछे कारण है, पिछले वर्ष अत्यधिक बारिश के कारण फसल बर्बाद हो जाना।
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बुवाई के लक्ष्य और वर्तमान स्थिति: कृषि विभाग के अनुसार, धौलपुर में रबी फसल की बुवाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। गेहूँ की बुवाई का लक्ष्य 52 हजार हेक्टेयर था, जो 56,225 हेक्टेयर तक पहुँच गया। आलू की बुवाई 7,201 हेक्टेयर में की गई है जबकि सरसों की बुवाई 73,279 हेक्टेयर हुई है।
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मौसम का प्रभाव: अत्यधिक वर्षा और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण किसानों ने सरसों की बुवाई में कमी की है। किसानों का कहना है कि समय पर सरसों की बुवाई नहीं होने से उपज में कमी आएगी। वहीं, गेहूँ और आलू के लिए बाजार में अच्छे मूल्य भी इस बुवाई की प्रगति में योगदान कर रहे हैं।
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कृषि विभाग की रिपोर्ट: कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. हब्बाल सिंह ने बताया कि क्षेत्र में अधिकतर रबी फसलों की बुवाई की गई है, लेकिन समय पर सरसों की बुवाई नहीं हो पाई। इसके परिणामस्वरूप, किसानों ने अधिक गेहूँ और आलू की बुवाई की है।
- किसानों की चिंताएँ: किसानों को इस साल की फसल के उत्पादन में उच्च तापमान के कारण कमी की आशंका है। उनका मानना है कि उच्च तापमान से गेहूँ की पौध का रंग काला पड़ जाएगा, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the text regarding the agricultural situation in Dholpur district, Rajasthan:
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Crop Sowing Adjustments: Farmers in Dholpur have reduced mustard sowing due to excessive rains that led to waterlogging and crop destruction. Instead, they have focused more on sowing wheat and potatoes, motivated by favorable market prices for these crops.
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Sowing Statistics: The sowing of Rabi crops is nearly complete, with wheat sown in 56,225 hectares (exceeding the target of 52,000 hectares) and potatoes in 7,201 hectares. Mustard sowing has reached 73,279 hectares, below the target of 90,000 hectares. Overall, 94% of the targeted area for crops has been sown.
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Impact of Weather: The prevailing weather conditions, including heavy rainfall and temperature fluctuations, have affected crop yields. High temperatures are detrimental to wheat and potato crops while causing significant losses in mustard production.
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Market Factors: The increased prices of wheat and potatoes have influenced farmers’ decisions to prioritize these crops over mustard this season, reflecting a shift in agricultural strategy based on market conditions.
- Agriculture Department Insights: The Agriculture Department acknowledges that flooding due to excessive rain hindered timely sowing of mustard, leading to an increase in wheat sowing. The department remains optimistic about the area under wheat and potatoes while monitoring the effects of high temperatures on crop health.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
राजस्थान के धोलपुर जिले में किसानों ने इस बार सरसों की बुवाई कम की है और अधिकतर गेहूं और आलू की बुवाई की है। इसका कारण यह है कि इस बार ज्यादा बारिश के कारण खेत जलमग्न हो गए और खरीफ फसल बर्बाद हो गई। किसानों ने अपने खेतों में सरसों की बुवाई की थी, लेकिन जब सरसों अंकुरित नहीं हुई, तो उन्हें फिर से गेहूं बोना पड़ा। इस बार आलू और गेहूं की कीमतें अधिक होने के कारण किसानों ने इन दो फसलों पर अधिक ध्यान दिया है।
धोलपुर जिले में रबी फसल की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है। अब तक जिले में गेहूं और आलू की बुवाई लक्ष्य से अधिक हो गई है। कृषि विभाग ने 52 हजार हेक्टेयर गेहूं की बुवाई का लक्ष्य रखा था, जिसे 56 हजार 225 हेक्टेयर में पूरा कर लिया गया है, जबकि आलू की बुवाई 7 हजार 201 हेक्टेयर में की गई है। सरसों का लक्ष्य 90 हजार हेक्टेयर रखा गया था, लेकिन केवल 73 हजार 279 हेक्टेयर में ही बुवाई हुई है। इस बार मौसम में बदलाव के कारण सरसों की बुवाई कम हुई है। धोलपुर कृषि विभाग के अनुसार, इस रबी सीजन में सरकार से 1 लाख 51 हजार हेक्टेयर की बुवाई का लक्ष्य मिला है, जबकि पिछले साल यह लक्ष्य 1 लाख 43 हजार हेक्टेयर था।
किस फसल की कितनी बुवाई हुई है
इसमें 52 हजार हेक्टेयर गेहूं, 1 हजार हेक्टेयर चना, 1 हजार हेक्टेयर दलहन, 90 हजार हेक्टेयर सरसों और अन्य फसलों के लिए 8 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य शामिल है। पिछले साल की तुलना में गेहूं की बुवाई इस बार 56 हजार 225 हेक्टेयर की गई है, जबकि पिछले साल यह 52 हजार 667 हेक्टेयर थी।
इसके अलावा, इस बार बार्ली की बुवाई 397 हेक्टेयर, चने की बुवाई 894 हेक्टेयर, और सरसों की बुवाई 73 हजार 279 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल यह 74 हजार 600 हेक्टेयर थी। आलू की बुवाई 7201 हेक्टेयर में की गई है, जबकि पिछले साल यह 6 हजार 841 हेक्टेयर थी। नकद फसलों में मिर्च, टमाटर, मटर, लहसुन, बैंगन, हरी धनिया आदि की बुवाई 10,479 हेक्टेयर में की गई है। कृषि विभाग के लक्ष्य के अनुसार, अब तक 94 प्रतिशत फसलों की बुवाई हो चुकी है।
गेहूं और आलू पर अधिक ध्यान
किसानों का कहना है कि इस बार धोलपुर जिले में सरसों का उत्पादन अच्छा रहा है, लेकिन इस बार गेहूं और आलू की बुवाई पर अधिक ध्यान दिया गया है। भारी बारिश के कारण सरसों की बुवाई में देरी हुई है और किसानों ने सरसों के बजाय गेहूं और आलू की बुवाई की है। आलू और गेहूं की कीमतों में वृद्धि होने से भी किसानों ने इन्हीं दो फसलों को प्राथमिकता दी है।
किसानvineet sharma, गोविंद सिंह परमार, संवालिया और मोहर सिंह ने कहा कि अत्यधिक बारिश के कारण इस बार सरसों की बुवाई कम हुई है और गेहूं की बुवाई अधिक की गई है। इस बार दिन में तापमान बढ़ रहा है, जो फसलों के लिए ठीक नहीं है। तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण उत्पादन भी कम होगा।
बारिश का फसलों पर प्रभाव
किसान कहते हैं कि भारी बारिश के कारण सरसों की बुवाई का समय निकल गया क्योंकि खेतों में पानी जमा हो गया था। यदि सरसों समय पर नहीं बोई जाए तो उत्पादन कम होता है और रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है।
हालांकि गेहूं और आलू की फसल पर मौसम का असर कम पड़ा है। लेकिन सरसों में मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण अधिक नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि इस बार चना, मिर्च और सब्जियों की बुवाई कम की गई है। अगर तापमान इसी तरह बना रहा, तो रबी फसल को नुकसान होने की संभावना है।
कृषि विभाग की राय
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक, डॉ. हब्बाल सिंह ने कहा कि धोलपुर जिले में सरसों, गेहूं और आलू की अधिक बुवाई होती है। हालांकि कुछ किसानों ने समय पर सरसों की बुवाई की थी।
डॉ. हब्बाल सिंह ने कहा कि खेतों में नमी और उच्च तापमान के कारण गेहूं की फसल को फिर से बोया गया है। इस बार आलू की कीमतें अच्छी हैं, इसलिए किसानों ने अपनी फसलें बदल दी हैं। भारी वर्षा के कारण खेत जलमग्न हो गए थे और सरसों को समय पर नहीं बोया जा सका, इसलिए गेहूं बुआई करनी पड़ी। अभी तक फसल पर तापमान में वृद्धि का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा है।(रिपोर्ट: उमेश मिश्रा)
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
This time in Dholpur district of Rajasthan, farmers have reduced the sowing of mustard and sown more wheat and potatoes because this time due to excessive rains the fields were submerged and the Kharif crop was destroyed. This time the farmers have sown mustard in the fields. The crop was sown. But when mustard did not sprout, he had to sow the wheat crop again. This time, due to higher prices of potatoes and wheat in the market, farmers have laid more emphasis on sowing of these two crops.
Sowing of Rabi crop is almost completed in Dholpur district. So far, sowing of wheat and potatoes in the district has exceeded the target this time. The target of sowing wheat of 52 thousand hectares has been achieved by the Agriculture Department. But sowing has been done in 56 thousand 225 hectares, whereas potato has been sown in 7 thousand 201 hectares. Also, the target for sowing mustard was 90 thousand hectares. But sowing has been done in 73 thousand 279 hectares. This time, due to fluctuations in weather, sowing of mustard has reduced. According to Dholpur Agriculture Department, this time the target of 1 lakh 51 thousand hectares has been received from the government in Rabi season. Last year this target was 1 lakh 43 thousand hectares.
how much sowing of which crop
This includes wheat 52 thousand hectares which was 49 hectares last year, gram one thousand hectares, pulses one thousand hectares, mustard 90 thousand hectares and a target of eight thousand hectares for other crops. In the Rabi crop which started from October 10 last, till December 06, 90 percent sowing work of mustard, wheat, potato, gram and pulses has been completed. Whereas only ten percent of wheat sowing is left. So far wheat has been sown in 56 thousand 225 hectares and last year it was sown in 52 thousand 667 hectares.
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Barley has been sown in 397 hectares, gram in 894 hectares and mustard in 73 thousand 279 hectares, which was sown in 74 thousand 600 hectares last year. Potato has been sown in 7201 hectares, whereas last year potato was sown in 6 thousand 841 hectares. Cash crops include chilli, tomato, peas, garlic, brinjal, green coriander and other crops which have been sown in 10,479 hectares. According to the target of the Agriculture Department, 94 percent of the crops have been sown so far.
More emphasis on wheat-potato
Let us tell you that the production of mustard in the district has been good since the beginning and every year the Agriculture Department keeps increasing the area for sowing of mustard. This year, a target of sowing 90 thousand hectares for mustard was set, out of which till now only 73 thousand 279 hectares have been sown. But this time farmers have emphasized on sowing of wheat and potatoes. Due to heavy rains, there has been a delay in sowing of mustard due to water logging in the fields, farmers have sown wheat and potatoes instead of mustard. Due to this, the area under sowing of wheat and potatoes has increased. Also, due to continuous increase in the prices of potato and wheat, farmers have emphasized on these two crops this time.
Farmers Vineet Sharma, Govind Singh Parmar, Sanwalia and Mohar Singh said that due to excessive rainfall, sowing of mustard has reduced this time. Wheat has been sown more. Also sowing of potatoes has also been done. This time the temperature is increasing during the day which is not good for the crops. Production will also reduce due to temperature fluctuations. According to farmers, the temperature should be low for wheat and potatoes. Due to high temperature the color of the wheat plant turns black.
Effect of rain on crops
Farmers said that due to heavy rains the time for sowing mustard had passed due to water logging in the fields. Due to this, sowing could not be done on time. Farmers say that although mustard was sown on time, the plants were destroyed due to pest attack. After this, the field had to be sown again and wheat was sown. According to farmers, if mustard is not sown on time, the yield is low and there is a possibility of disease.
Wheat and potato crops are affected by weather and there is no impact on the yield. Due to fluctuations in weather there is more loss in mustard. For this reason, sowing of mustard has been reduced. Farmers told that this time gram, chilli and vegetable crops have been sown in less area. If the temperature remains like this then there is a possibility of damage to the Rabi crop. According to farmers, due to increased rainfall, more wheat and potatoes have been sown.
What does the Agriculture Department say?
Joint Director of Agriculture Department, Dr. Habbal Singh said that in Dholpur district, more Rabi crops like mustard, wheat and potato are sown and gram is sown in one thousand hectares. The remaining crops include vegetables and green fodder. Due to excessive rain in the district, the fields were flooded and farmers did not sow mustard on time in Baseri, Saipau and other areas. Some farmers had sown mustard.
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Habbal Singh says, due to moisture in the fields and high temperature, wheat crop has been sown again in the fields. The area under mustard sowing has reduced. The area under sowing of wheat and potatoes has increased. Wheat sowing is still going on at some places. This time the price of potatoes has been good, so farmers have diverted their crops this time. This time due to heavy rains the fields were flooded. Due to this, mustard sowing could not be done on time and wheat had to be sown. There is no harm to crops due to increase in temperature so far.(Report by Umesh Mishra)