Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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रबी सीजन और सरसों की खेती: रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें विशेष रूप से सरसों की खेती की जाती है। सरकार देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
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इम्प्रूव्ड वराइटीज: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा द्वारा सरसों की पांच नई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं – पूसा गोल्ड, पूसा अग्रानी, पूसा ज्वालामुखी, PL-501, और RLC-1। ये किस्में अक्टूबर महीने में बोई जाती हैं और इनकी बुवाई 15 अक्टूबर से पहले करनी चाहिए।
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उच्च उत्पादन और लाभ: ये उन्नत किस्में उच्च उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और बेहतर गुणवत्ता का तेल प्रदान करती हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है। विशेष रूप से पूसा गोल्ड और पूसा अग्रानी किस्में उच्च उत्पादन के लिए जानी जाती हैं।
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जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता: पूसा गोल्ड किस्म जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील है और कम लागत में अधिक उपज देती है, जिससे यह किसानों के लिए लाभकारी है।
- किसान केंद्रित: सभी विकसित किस्में पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान जैसे उत्तरी भारतीय राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त हैं, जिससे किसानों को अच्छी आय प्राप्त हो सके।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points regarding the current Rabi season and mustard cultivation:
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Introduction of Mustard Cultivation: The Rabi season has commenced, with a focus on cultivating mustard extensively among oilseed crops, aiming to enhance the country’s self-reliance in edible oil production.
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Improved Varieties Developed: The Indian Agricultural Research Institute, Pusa, has developed five improved varieties of mustard—Pusa Bold, Pusa Jwalamukhi, Pusa Agrani, RLC-1, and PL-501—to increase production and farmer incomes, encouraging sowing before October 15.
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Advantages of High-Yielding Varieties: Varieties like Pusa Gold, Pusa Agrani, Pusa Volcano, PL 501, and RLC-1 are characterized by high yields, disease resistance, and better oil quality, allowing farmers to earn more income at lower cultivation costs.
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Regional Suitability: The featured mustard varieties are particularly suitable for cultivation in North India, including states like Punjab, Haryana, and Rajasthan, optimizing their adaptability to local agricultural conditions.
- Economic Impact: Cultivating these improved mustard varieties not only enhances oil production but also significantly boosts the income of farmers, contributing positively to their economic well-being.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
रबी सीजन शुरू हो गया है। इस मौसम में, तेल बीज फसलों में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने के लिए, सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उत्पादन बढ़ाने के लिए कई नई किस्में भी विकसित की जा रही हैं, ताकि किसान अधिक उत्पादन हासिल कर सकें और अच्छी आय प्राप्त कर सकें। बता दें कि सरसों एक प्रमुख रबी फसल है, जिसे मुख्य रूप से खाद्य तेल के लिए उगाया जाता है।
सरसों के उत्पादन को बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पुसा द्वारा पांच उन्नत किस्मों का विकास किया गया है। ये सरसों की ऐसी किस्में हैं जिन्हें विशेष रूप से अक्टूबर महीने में बोया जाता है। अक्टूबर में, पुसा बोल्ड, पुसा ज्वालामुखी, पुसा अग्रणी, आरएलसी-1 और पीएल-501 जैसी किस्मों की खेती की जाती है। अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को इन किस्मों को 15 अक्टूबर से पहले बोना चाहिए।
पुसा गोल्ड
पुसा गोल्ड एक लोकप्रिय उच्च उपज वाली सरसों की किस्म है। इसे ICAR के पुसा संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म ज्यादा उपज देती है और अधिक तेल उत्पादन करती है, इसलिए किसानों को अधिक आय होती है। यह किस्म कम लागत पर उच्च उपज देती है और इसका तेल भी अच्छा होता है। यह किस्म जलवायु परिवर्तन के प्रति सहिष्णु है।
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पुसा अग्रणी सरसों
यह किस्म उच्च उपज के लिए जानी जाती है। इसमें रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होती है। यह एक उच्च उपज वाली किस्म है और इसका तेल भी अधिक होता है, जिससे किसानों को अच्छी आय होती है। इसका तेल उच्च गुणवत्ता का होता है और कम लागत में बेहतर आय देता है। यह किस्म उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में उगाने के लिए उचित मानी जाती है।
पुसा ज्वालामुखी
यह सरसों की किस्म भी उच्च उपज वाली और रोग प्रतिरोधक है। किसान इसे अक्टूबर और नवंबर के महीनों में उगा सकते हैं। इसमें तेल की मात्रा अधिक होती है, जिससे किसानों को इससे अच्छी आय होती है। इसका तेल भी उत्तम गुणवत्ता का होता है। यह किस्म उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यह 120-130 दिन में पक जाती है और इसकी उपज 25-30 क्वींटल प्रति एकड़ होती है।
पीएल 501
सरसों की पीएल 501 एक उच्च उपज वाली रोग प्रतिरोधक किस्म है। इसे पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है। इसका तेल उच्च गुणवत्ता का होता है, इसलिए इससे किसान अच्छी आय अर्जित करते हैं। इसका उत्पादन 25-30 क्वींटल प्रति एकड़ होता है। यह किस्म बुवाई के 120-125 दिन में पक जाती है और इसमें तेल की मात्रा 42-45 प्रतिशत होती है।
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आरएलसी-1
आरएलसी-1 सरसों की किस्म भी उच्च उपज वाली मानी जाती है। उच्च उपज और उच्च तेल उत्पादन के कारण, किसान इस किस्म की खेती से अच्छी आय अर्जित करते हैं। इसका तेल भी उच्च गुणवत्ता का होता है। यह किस्म उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
Rabi season has started. In this season, mustard is cultivated on a large scale among oilseed crops. To make the country self-reliant in the matter of edible oil, continuous efforts are being made to promote mustard cultivation. Many new varieties are also being developed to increase the production of mustard. So that farmers can achieve maximum production and earn good income. Let us tell you that mustard is a major Rabi crop. Mainly it is cultivated for edible oil.
To increase the production of mustard and increase the income of farmers, five improved varieties of mustard have been developed by the Indian Agricultural Research Institute, Pusa. These are such varieties of mustard which are sown especially in the month of October. In the month of October, Pusa Bold, Pusa Jwalamukhi, Pusa Agrani, RLC-1 and PL-501 varieties of mustard are cultivated. To get good yield, farmers should sow these varieties before October 15.
Pusa Gold
Pusa Gold is a popular high yielding variety of mustard. It has been developed by Pusa Institute of ICAR. This variety yields more and produces more oil. Therefore, farmers get more income from this. This variety gives high yield at low cost. Its oil is also of good quality. This variety of mustard is tolerant towards climate change.
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Pusa Agrani Mustard
Mustard: This variety is known for high yield. This variety has resistance to diseases. This is a high yielding variety and it produces more oil, hence farmers earn good income by cultivating this variety. Its oil is of better quality and it gives better income at lower cost. This variety is considered suitable for cultivation in North India, Punjab, Haryana, and Rajasthan.
Pusa Volcano
This mustard variety is also high yielding and disease resistant. Farmers can cultivate it in the months of October and November. It has high amount of oil, hence farmers earn good income from this variety. Its oil is also of good quality. This variety is considered suitable for farming in North India, Punjab, Haryana, and Rajasthan. This variety becomes ripe in 120-130 days and its yield is 25-30 quintals per acre.
PL 501
Mustard PL 501 is a high yielding disease resistant variety. It has been developed by Punjab Agricultural University. Its oil is of better quality. Therefore, farmers earn good income from this type of farming. Its production ranges from 25-30 quintals per acre. This variety becomes ripe in 120-125 days after sowing. The amount of oil in it ranges from 42-45 percent.
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RLC-1
RLC-1 variety of mustard is also a high yielding variety. Due to high yield and high oil production, farmers earn good income from the cultivation of this variety. Its oil is of better quality. This variety of mustard is considered suitable for cultivation in North India, Punjab, Haryana, and Rajasthan.