Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
यहां पर दी गई जानकारी के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
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नाइट्रोजन की उपलब्धता: जैव-उर्वरकों, जैसे कि राइज़ोबियम कल्चर और आजोटोबैक्टर के उपयोग से, किसान प्रति हेक्टेयर 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे फसलों की उपज 10 से 20 प्रतिशत बढ़ जाती है।
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फसलों के लिए उपयोगिता: राइज़ोबियम कल्चर को दालों के बीजों जैसे चना, मटर, मूंग, उरद और सोयाबीन में उपयोग किया जाता है, जबकि आजोटोबैक्टर अनाज फसलों जैसे गेहूँ, धान, मक्के और बाजरे में उपयोग होता है, जो नाइट्रोजन को फसलों के लिए आवश्यक बनाता है।
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फॉस्फोरस का महत्व: फॉस्फोरस को पौधों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक माना जाता है। पीएसबी कल्चर का उपयोग करके अघुलनशील फॉस्फोरस को पौधों के लिए उपलब्ध बनाया जा सकता है, जिससे प्रति हेक्टेयर 10 से 40 किलोग्राम फॉस्फोरस मिलता है।
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बीज उपचार विधि: बीजों को जैव-उर्वरक के साथ उपचारित करने की प्रक्रिया में jaggery का उपयोग करके एक समाधान बनाया जाता है, जिसे बीजों पर छिड़कने के बाद छायादार स्थान पर सूखने दिया जाता है, जिससे बीजों की पोषण क्षमता बढ़ती है।
- पर्यावरणीय लाभ: जैव-उर्वरकों का उपयोग न केवल उत्पादन लागत को कम करता है बल्कि मिट्टी की उर्वरता और संरचना को भी सुधारता है, जिससे किसान उच्च उपज प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी कर सकते हैं।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points summarized from the provided text:
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Benefits of Bio-Fertilizers: Using bio-fertilizers like Rhizobium and Azotobacter can provide 30 to 40 kg of nitrogen per hectare, increasing crop yields by 10 to 20%. Rhizobium is particularly beneficial for pulse crops, while Azotobacter is used in cereal crops.
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Cost-Effective Alternative: Bio-fertilizers are priced between Rs 100 to Rs 150, offering a cost-effective solution for farmers to enhance crop yields while reducing their reliance on chemical fertilizers.
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Phosphorus Availability: The PSB culture plays a crucial role in converting insoluble phosphorus in the soil to a soluble form, supplying 10 to 40 kg of phosphorus per hectare, which is essential for plant root development and overall growth.
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Seed Treatment Method: The best method for using bio-fertilizers involves treating seeds with a mixture of jaggery and bio-fertilizer culture, enhancing seed nutrition and resulting in better plant growth and higher yields.
- Environmental and Soil Health Benefits: The application of bio-fertilizers not only reduces production costs but also improves soil fertility and structure, providing natural nutrients and contributing to environmental sustainability while increasing agricultural productivity.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
अगर किसान युरिया की जगह बायो-फर्टिलाइज़र जैसे राइजोबियम कल्चर और अजोटोबैक्टर का उपयोग करते हैं, तो फसल को प्रति हेक्टेयर 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन मिल सकता है। यह नाइट्रोजन फसलों की उपज को 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा देता है। राइजोबियम कल्चर का उपयोग दालों की फसलों जैसे चना, मटर, मूंग, उरद, सोयाबीन आदि में बीज उपचार के लिए किया जाता है। यह बायो-फर्टिलाइज़र पौधों की जड़ों में प्रवेश करता है और छोटे नोड्यूल बनाता है, जो वायुमंडल से नाइट्रोजन अवशोषित करके इसे पौधों के लिए उपब्ध कराता है। अजोटोबैक्टर बायोफर्टिलाइज़र का उपयोग अनाज की फसलों जैसे गेहूं, चावल, मक्का और बाजरा में किया जाता है, जो नाइट्रोजन को फिक्स करके पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
अगर किसान अपनी फसलों की उपज बढ़ाना चाहते हैं और रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करना चाहते हैं, तो वे बायो-फर्टिलाइज़र का उपयोग कर सकते हैं। इन फर्टिलाइज़र्स की कीमत 100 से 150 रुपये के बीच होती है। नाइट्रोजन के बाद फॉस्फोरस सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। इसके लिए पीएसबी कल्चर का उपयोग किया जाता है, जो मिट्टी में मौजूद अघुलनशील फॉस्फोरस को घुलनशील रूप में बदलकर पौधों के लिए उपलब्ध कराता है। यह प्रति हेक्टेयर 10 से 40 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रदान कर सकता है, जिससे पौधों की जड़ों और वृद्धि में सुधार होता है।
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बीजों को खाद से कैसे उपचारित करें
बायो-फर्टिलाइज़र के साथ बीजों का उपचार सबसे अच्छा तरीका है। इसके लिए, आधे लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ मिलाकर एक घोल बनाएं और इसमें 200 ग्राम राइजोबियम, अजोटोबैक्टर या पीएसबी कल्चर डालें। इस घोल को 10 किलोग्राम बीजों पर छिड़कें और फिर बीजों को छायादार स्थान पर सूखने के बाद खेतों में बोएं। इस विधि से बीजों पर एक जैविक खाद की परत बन जाती है, जो उन्हें पोषण देती है।
अगर आप चावल, टमाटर, गोभी, प्याज जैसी फसलों के पौधे तैयार कर रहे हैं, तो नर्सरी से उखड़े हुए पौधों की जड़ों को बायो-फर्टिलाइज़र के घोल में डुबोकर उपचारित करें। इस विधि से पौधें बेहतर तरीके से बढ़ते हैं और अधिक उपज देते हैं। कंद फसलों जैसे आलू, अदरक, और गन्ने के लिए, 20-30 लीटर पानी में 1 किलोग्राम अजोटोबैक्टर और 1 किलोग्राम पीएसबी कल्चर मिलाकर कंदों का उपचार करें। इससे कंदों को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की आवश्यक आपूर्ति होती है, जिससे उनकी वृद्धि में सुधार होता है।
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बीज उपचार खादों के कई लाभ
बायो-फर्टिलाइज़र्स का उपयोग एक शानदार तरीका है। ये न केवल उत्पादन लागत को कम करते हैं, बल्कि भूमि की उर्वरता और संरचना को भी सुधारते हैं। बायोफर्टिलाइज़र जैसे राइजोबियम कल्चर, अजोटोबैक्टर, और पीएसबी कल्चर मिट्टी को प्राकृतिक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जिससे फसल की वृद्धि और उपज में सुधार होता है। बायो-फर्टिलाइज़र के उपयोग से किसान कम लागत पर उच्च उपज प्राप्त कर सकते हैं। ये खादें न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा करती हैं। इस तरह, किसान बायो-फर्टिलाइज़र का उपयोग करके अपनी फसलों की उपज बढ़ा सकते हैं और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हुए खेती में नई संभावनाएं उत्पन्न कर सकते हैं।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
If farmers use bio-fertilizers like Rhizobium culture and Azotobacter instead of urea, then the crop can get 30 to 40 kg nitrogen per hectare. This nitrogen increases the yield of crops by 10 to 20 percent. Rhizobium culture is used in seed treatment in pulse crops like gram, pea, moong, urad, soybean etc. This bio-fertilizer enters the roots of the plants and forms small nodules and absorbs nitrogen from the atmosphere and makes it available to the plants. Azotobacter biofertilizer is used in cereal crops, such as wheat, paddy, maize and millet, which fixes nitrogen and provides essential nutrients to the plants.
If farmers want to increase the yield of their crops and reduce their dependence on chemical fertilizers, then they can use bio-fertilizers. The price of these fertilizers ranges from Rs 100 to Rs 150. Phosphorus is the most important nutrient after nitrogen. For this, PSB culture is used, which converts the insoluble phosphorus present in the soil into a soluble form and makes it available to the plants. It can provide 10 to 40 kg of phosphorus per hectare, which improves plant roots and growth.
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How to treat seeds with fertilizers
Seed treatment with bio-fertilizer is the best method. For this, make a solution by mixing 50 grams of jaggery in half liter of water and add 200 grams of Rhizobium, Azotobacter or PSB culture in it. Sprinkle this solution on 10 kg seeds and after drying the seeds in shade, sow them in the fields. With this method, a layer of organic fertilizer is formed on the seeds, which provides nutrition to them.
If you are preparing seedlings of crops like paddy, tomato, cauliflower, onion, then treat the roots of the plants uprooted from the nursery by immersing them in bio-fertilizer solution. With this method, plants grow better and give more yield. For tuber crops like potato, ginger, sugarcane and sugarcane, treat the tubers by mixing 1 kg Azotobacter and 1 kg PSB culture in 20-30 liters of water. This provides the necessary supply of nitrogen and phosphorus to the tubers, which improves their growth.
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Many Benefits of Seed Treatment Fertilizers
Use of bio-fertilizers is a great way. These not only reduce production costs but also improve the fertility and structure of the soil. Biofertilizers, such as Rhizobium culture, Azotobacter, PSB culture, provide natural nutrients to the soil, thereby improving crop growth and yield. By using bio-fertilizers, farmers can get higher yields at lower costs. These fertilizers not only increase the fertility of the soil but also protect the environment. In this way, by using bio-fertilizers, farmers can increase the yield of their crops and create new possibilities in farming while maintaining the fertility of the soil.