Tripura Governor praises KVK for Northeast agricultural growth. (त्रिपुरा के राज्यपाल ने KVK की कृषि उपलब्धियों की प्रशंसा की!)

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Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)

  1. कार्यशाला का उद्घाटन: आईसीएआर-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित इस वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का उद्घाटन त्रिपुरा के राज्यपाल एन. इंद्रसेन रेड्डी ने 19 सितंबर 2024 को किया, जो कि पूर्वोत्तर राज्यों में कृषि नवाचारों को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में देखा जा रहा है।

  2. प्रतिभागी और उद्देश्य: तीन दिवसीय कार्यक्रम में मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा के 43 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के विभिन्न वैज्ञानिक, नीति निर्माता, और किसान शामिल हुए, जिन्होंने पर्वतीय कृषि के विभिन्न मुद्दों पर विचार साझा किए और केवीके के माध्यम से सतत विकास के लिए तकनीकी विकल्पों की पहचान की।

  3. राज्यपाल की सराहना: मुख्य अतिथि ने केवीके की भूमिका को "प्रयोगशाला से भूमि के बीच का सच्चा पुल" बताया और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की प्रशंसा की। राज्यपाल ने नवाचार के जरिए छोटे भूमिधारकों के लिए समाधान तैयार करने के लिए सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

  4. प्रमुख विचारों की प्रस्तुति: कार्यशाला में विभिन्न विशेष अतिथियों ने कृषि नवाचारों, स्थायी मछली पालन, और टिकाऊ पशुधन विकास पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जिससे क्षेत्र की कृषि की लचीलापन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

  5. केवीके के योगदान की पहचान: कार्यशाला के दौरान केवीके, सिपाहीजाला, त्रिपुरा को सर्वश्रेष्ठ केवीके पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिससे यह प्रमाणित होता है कि केवीके को कृषि में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मान्यता मिली है।

Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)

Here are the main points from the article regarding the annual regional workshop of Agricultural Science Centers (KVK) held in Tripura:

  1. Inauguration of Workshop: The annual regional workshop organized by the Indian Council of Agricultural Research (ICAR) was inaugurated by the Governor of Tripura, N. Indrasen Reddy, on September 19, 2024, at the Fisheries College in Tripura. The event aimed to promote agricultural innovations in the Northeastern states.

  2. Participation and Collaboration: The three-day workshop (September 19-21) brought together representatives from 43 KVKs in Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland, and Tripura, along with scientists, policymakers, educators, and farmers to discuss sustainable development in mountainous agriculture and share valuable insights.

  3. Focus on Agricultural Challenges: The workshop emphasized the importance of effective cooperation among KVKs, research organizations, and state agricultural departments to address challenges faced by smallholder farmers. Discussions revolved around innovative solutions for agricultural development and employment opportunities for youth in agriculture.

  4. Keynote Addresses and Outcomes: Notable figures, including ICAR’s Deputy Director General and the Vice-Chancellor of Central Agricultural University, highlighted the crucial roles of KVKs in technology transfer and developing sustainable agricultural practices. The workshop served as a platform for identifying strategies to enhance agricultural productivity and food security.

  5. Recognition and Future Directions: The workshop concluded with awards for outstanding KVKs and a call for the formation of farmer clubs to facilitate efficient technology transfer and capacity building among farmers, marking a commitment to drive significant change in the region’s agricultural landscape.


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Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)

कृषि विज्ञान केंद्रों की वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का सारांश

19 सितंबर 2024 को त्रिपुरा के मत्स्य महाविद्यालय, लेम्बुचेरा में आयोजित कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला (एजेडडब्ल्यू) ने पूर्वोत्तर में कृषि नवाचारों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कार्यशाला 19 से 21 सितंबर तक चली, जिसमें मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा के 43 केवीके उपस्थित थे। कार्यक्रम में विभिन्न कृषि क्षेत्रों के विशेषज्ञ, नीति निर्माता, शिक्षण पेशेवर, कृषि उद्योग, एफपीओ, स्टार्टअप और प्रगतिशील किसान शामिल हुए, ताकि वे पर्वतीय कृषि के सतत विकास के लिए अपने विचार साझा कर सकें।

इस उद्घाटन कार्यक्रम का शुभारंभ त्रिपुरा के राज्यपाल एन इंद्रसेन रेड्डी ने दीप प्रज्वलित करके किया। उन्होंने केवीके की भूमिका की प्रशंसा की और इसे "प्रयोगशाला से भूमि के बीच सच्चा पुल" करार दिया। राज्यपाल ने मैंने छोटे किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए केवीके, अनुसंधान संगठनों और राज्य कृषि विभागों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया।

कार्यशाला में अन्य प्रमुख अतिथियों ने भी अपने विचार रखे। डॉ. यूएस गौतम, आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), ने केवीके के विकास के लिए लंबी अवधि की रणनीतियों पर चर्चा की, जैसे कि स्वदेशी तकनीकों का एकीकरण। डॉ. अनुपम मिश्रा, कुलपति, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल, ने स्थायी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने में केवीके और महाविद्यालय के बीच सहयोग के महत्व को रेखांकित किया।

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डॉ. आरआर बर्मन ने किसान सारथी और अन्य डिजिटल कृषि प्लेटफार्मों के उपयोग पर जोर दिया, जबकि डॉ. एच. रहमान ने पशुधन विकास में केवीके की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने विशेष केवीके इकाइयों की सफलताओं की सराहना की जो पशुपालन को आगे बढ़ाती हैं।

कार्यशाला के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जैसे कि कृषि-उद्योग बैठक, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, और हितधारकों के बीच संवाद। उद्घाटन समारोह में, कार्यक्रम के विभिन्न एजेंडों को प्रस्तुत किया गया, जिसमें कुशल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सतत कृषि प्रथाओं का पालन करने पर जोर दिया गया।

कार्यक्रम में, ‘एक पेड़ मा के नाम’ के प्रतीकात्मक संकेत में, राज्यपाल ने कॉलेज परिसर में पौधे लगाए। कार्यशाला का समापन विधायक जितेन्द्र मजूमदार की उपस्थिति में हुआ, जिन्होंने केवीके की भूमिका की सराहना की और किसानों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर जोर दिया। इसके साथ ही, केवीके, सिपाहीजाला, त्रिपुरा को सर्वश्रेष्ठ केवीके पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

इस कार्यशाला ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के कृषि विकास के लिए तथा कृषि में नवाचारों के स्वीकृत तकनीकी विकल्पों के विकास में एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म प्रदान किया।

इस तरह, कृषि विज्ञान केंद्रों की यह वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला न सिर्फ ज्ञान एवं अनुभव साझा करने का एक अवसर था, बल्कि कृषि क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का एक मंच भी था।

निष्कर्ष: कृषि विज्ञान केंद्रों की कार्यशाला ने न केवल तकनीकी विचार-विमर्श को प्रोत्साहित किया बल्कि क्षेत्र के कृषि विकास के लिए नीतियों और उपायों पर भी ध्यान केंद्रित किया। यह कार्यक्रम निस्संदेह इस क्षेत्र के किसानों एवं वैज्ञानिकों के लिए एक सकारात्मक पहल है।


Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)

The annual regional workshop of Krishi Vigyan Kendras (KVKs) held under the Indian Council of Agricultural Research (ICAR) at the Agricultural Technology Application Research Institute (ATAR), Umiam, marked a significant milestone in advancing agricultural innovations in the northeastern states of India. The workshop, inaugurated by the Governor of Tripura, N. Indrasen Reddy, took place from September 19 to 21, 2024, at the Fishery College of Central Agricultural University (CAU), Lembucherra, Tripura.

Participants included 43 KVKs from Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland, and Tripura, along with esteemed scientists, policymakers, educators, and progressive farmers from various agricultural sectors. The workshop served as a platform for sharing valuable insights on diverse issues related to mountainous agriculture and aimed at sustainable development through suitable technological options.

The agenda included stakeholder dialogues, technology exhibitions, and discussions on KVK achievements, alongside agricultural industry interactions. In his opening speech, the Governor praised KVKs as a “true bridge from the laboratory to the land,” highlighting their role in improving the agricultural landscape of the northeastern region. He noted that more than 50% of hill farmers benefit in real-time from the knowledge and services provided by KVKs.

Emphasizing the importance of effective collaboration among KVKs, research organizations, and state agricultural departments, the Governor expressed hope for meaningful discussions on agricultural development and employment challenges for youth in the sector.

Dr. U.S. Gautam, the Deputy Director General (Agricultural Extension) of ICAR, outlined an ambitious roadmap for the development of KVKs during the workshop. He focused on transforming KVKs into centers of excellence and emphasized the need to enhance intellectual property portfolios related to indigenous agricultural technologies.

Dr. Anupam Mishra, Vice-Chancellor of CAU, highlighted the Fishery College’s critical role in promoting sustainable fish farming in northeast India. He emphasized the significance of networking between KVKs and colleges to support rural farmers and ensure environmental sustainability.

Dr. R.R. Barman, Additional Director General (Agricultural Extension) at ICAR, underscored the effective use of digital agricultural platforms and highlighted KVK’s pivotal role in quality seed production, regenerative agriculture, precision farming, and agricultural entrepreneurship development.

Other notable speakers included Dr. H. Rahman, who called for strengthening KVK’s efforts in livestock development, and Dr. M.M. Acharjee, who emphasized KVK’s importance in fostering knowledge sharing and partnerships for resilient agricultural development in India.

The workshop commenced with a welcome address from Dr. A.K. Mohanty, Director of ICAR-ATAR, who presented the technological transfer protocols pertinent to KVKs and the event’s diverse agenda, which included demonstrations of cutting-edge agricultural technologies.

As a symbol of commitment to agriculture, the Governor and other dignitaries planted saplings in the college premises. The workshop ultimately concluded with a valedictory session attended by Jitendra Majumdar, a member of the legislative assembly, who recognized KVK’s impactful role in transforming the agricultural landscape of the northeastern region and suggested forming farmer clubs for effective technology transfer and capacity building at the grassroots level.

KVK, Sipahijala, Tripura, was honored with the Best KVK Award for its excellent performance in the region, reflecting the positive outcomes of the workshop and the collective effort to enhance agricultural practices and livelihoods in the northeastern states.



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