AI tech to soon detect pests in tea plantations! (चाय बागानों में कीटों की पहचान के लिए AI का प्रयोग शुरू!)

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Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)

  1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग: चाय की फसल पर कीटों के हमलों का पता लगाने के लिए एआई आधारित हवाई इमेजिंग समाधान विकसित किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत कई संस्थाएं जैसे यूपीएएसआई चाय अनुसंधान फाउंडेशन, सीडीएसी, और IIT खड़गपुर शामिल हैं।

  2. कीटों और बीमारियों की बढ़ती समस्या: बदलते जलवायु पैटर्न के कारण चाय बागान मालिक चाय मच्छर और लाल माइट जैसे कीटों के बढ़ते हमलों का सामना कर रहे हैं, जिससे कीटनाशकों की निगरानी चुनौतीपूर्ण हो रही है।

  3. हवाई इमेजिंग द्वारा निगरानी: बड़े बागान क्षेत्रों में मैन्युअल निगरानी मुश्किल है, इसलिए ड्रोन द्वारा उत्पन्न छवियों का उपयोग करके कीटों की पहचान के लिए हवाई इमेजिंग समाधानों को एक आदर्श विकल्प माना गया है।

  4. डेटा की कमी की चुनौती: इस समाधान के विकास में डेटा की कमी एक बड़ी चुनौती है, जिसे यूपीएएसआई टीआरएफ मशीन लर्निंग समाधान विकसित करने के लिए उत्साहपूर्वक संचित कर रहा है।

  5. मोबाइल ऐप और निर्णय समर्थन प्रणाली: समाधान के हिस्से के रूप में एक मोबाइल नेविगेशन ऐप विकसित किया जा रहा है, जो बागान कर्मचारियों को कीट प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने और वहां पहुंचने में मदद देगा।

Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)

Here are the main points from the article regarding the use of AI-based imaging solutions for pest detection in tea gardens:

  1. AI Imaging Solution Development: Collaborations between organizations like the UPASI Tea Research Foundation, CDAC, and IIT Kharagpur are underway to develop an AI-based aerial imaging solution aimed at detecting pest infestations in tea crops.

  2. Challenges from Climate Change: Tea growers are facing increased pest attacks, such as from tea mosquitoes and red mites, due to changing climate patterns, making pest identification a significant challenge.

  3. Identification of Key Pests: The primary pests threatening tea crops include tea mosquitoes, thrips, and red spider mites, along with diseases like blister blight and gray blight, exacerbated by a lack of timely information for producers.

  4. Aerial Imaging Benefits: The development of aerial imaging solutions for monitoring pests and diseases is seen as an ideal approach, particularly in difficult, large, and hilly tea plantation areas where manual monitoring is challenging.

  5. Projected Availability of Solutions: The AI solution is expected to be commercially available in about two years, incorporating machine learning to analyze data from drone-generated images, along with a mobile navigation app to assist workers in identifying and treating pest-affected areas.


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Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)

चाय की फसल पर कीटों के हमलों का सामना कर रहे चाय बागान मालिकों के लिए एक नई उम्मीद का स्रोत बन रही है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित हवाई इमेजिंग। भारत में चाय की खेती को प्रभावित कर रहे कीटों और बीमारियों की पहचान के लिए यूपीएएसआई चाय अनुसंधान फाउंडेशन, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडीएसी), और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर जैसे संस्थाएं मिलकर कार्य कर रही हैं। ये संस्थाएं एआई-आधारित इमेजिंग समाधान के विकास में जुटी हैं, जो चाय बागान मालिकों को कीट पहचान संबंधी चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा, खासकर मौजूदा जलवायु परिवर्तन के चलते।

बदलते जलवायु पैटर्न के कारण चाय बागान मालिक चाय मच्छर और लाल माइट जैसे कीटों के बढ़ते हमलों का सामना कर रहे हैं। प्रमुख कीटों और रोगों में चाय मच्छर, थ्रिप्स, रेड स्पाइडर माइट्स, ब्लिस्टर ब्लाइट और ग्रे ब्लाइट शामिल हैं। इनसे निपटने के लिए चाय उत्पादकों को पहले से जानकारी की जरूरत है, जो वर्तमान में उन्‍हें उपलब्ध नहीं है।

उपरोक्त समाधान को चाय बोर्ड द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है, और इसकी विकास प्रक्रिया में कई बार डेटा की कमी एक बड़ी चुनौती बन गई है। यूपीएएसआई टीआरएफ मशीन लर्निंग के लिए आवश्यक डेटा और कीट संक्रमित पत्तियों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहा है। सी-डैक कोलकाता में सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है, वहीं आईआईटी खड़गपुर मल्टीस्पेक्ट्रल छवियों का उपयोग कर कीट संक्रमण के वर्गीकरण और पहचान के लिए एआई/एमएल मॉडल तैयार कर रहा है। इस तकनीक के अंतर्गत ड्रोन द्वारा उत्पन्न छवियों का उपयोग कर फसलों की हवाई निगरानी की जाएगी।

आर विक्टर जे इलंगो, जो यूपीएएसआई टीआरएफ के निदेशक हैं, के अनुसार, यह समाधान लगभग दो वर्षों में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होने की संभावना है। इसके अलावा, एक मोबाइल नेविगेशन ऐप भी विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य बागान कर्मचारियों को कीट प्रभावित क्षेत्रों या हॉटस्पॉट की पहचान और वहां पहुंचने में मदद करना है। रसायनों का छिड़काव मैन्युअल तरीके से या ड्रोन के माध्यम से किया जा सकता है, जिससे छिड़काव में सटीकता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।

अंततः, चाय उद्योग में इस तरह का एआई आधारित समाधान किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति है, जो उन्हें कीटों के हमलों के खिलाफ बेहतर तैयारी और जवाब देने की क्षमता प्रदान करता है। ये संपूर्ण प्रयास न केवल चाय की उत्पादन में सुधार करेंगे बल्कि इसमें बातावरण की सुरक्षा और संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेंगे।


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Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)

बागवानों के लिए चाय की फसल की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, खासकर जब से वे कीटों के हमलों और बदलते जलवायु पैटर्न का सामना कर रहे हैं। इस चुनौती का समाधान खोजने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित हवाई इमेजिंग प्रणाली पर काम चल रहा है। इस पहल में यूपीएएसआई चाय अनुसंधान फाउंडेशन, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडीएसी) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर जैसे प्रमुख संस्थानों का सहयोग शामिल है। इन संस्थाओं का उद्देश्य चाय बागान मालिकों को कीटों की पहचान और प्रबंधन में मदद करना है, ताकि वे कीटों और बीमारियों के हमलों से बेहतर तरीके से निपट सकें।

चाय की फसल पर प्रमुख कीटों में चाय मच्छर, थ्रिप्स और लाल माइट शामिल हैं। इसके अलावा, ब्लिस्टर ब्लाइट और ग्रे ब्लाइट जैसी बीमारियों का भी चाय पौधों पर तलवार चल रहा है। कीटों और बीमारियों के बारे में पहले से जानकारी का अभाव चाय उत्पादकों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। इसी संदर्भ में, यूपीएएसआई टीआरएफ के निदेशक आर विक्टर जे इलंगो ने बताया कि चाय बोर्ड ने इस एआई आधारित समाधान के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है।

बागान क्षेत्रों में कीटों और बीमारियों की मैन्युअल निगरानी एक कठिन कार्य है, विशेषकर बागान के बड़े और पहाड़ी इलाकों में। इसलिए, हवाई इमेजिंग आधारित समाधान को एक उपयुक्त विकल्प माना जा रहा है। ड्रोन द्वारा उत्पन्न छवियों का उपयोग किया जाएगा, जो फसल की हवाई निगरानी के लिए प्रभावी तरीके से कीटों का पता लगाने में मदद करेगा।

सी-डैक का असोसिएट डायरेक्टर अमिताव अकुली का कहना है कि यह समाधान लगभग दो वर्षों के भीतर व्यावसायिक स्तर पर उपलब्ध होने की संभावना है। इसके विकास में डेटा की कमी एक महत्वपूर्ण चुनौती थी, जिस पर यूपीएएसआई टीआरएफ मशीन लर्निंग समाधान के लिए डेटा और कीट प्रभावित पत्तियों को उपलब्ध करा रहा है। इसके अंतर्गत, सी-डैक कोलकाता में सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है, जबकि आईआईटी खड़गपुर माझी-स्पेक्ट्रल छवियों के माध्यम से कीट संक्रमण के वर्गीकरण और पहचान के लिए एआई/एमएल मॉडल तैयार कर रहा है।

इसके अलावा, एक मोबाइल नेविगेशन ऐप भी विकसित किया जा रहा है, जो बागान कर्मचारियों को कीट प्रभावित क्षेत्रों का पता लगाने और वहां पहुंचने में सहायता करेगा। रसायनों का छिड़काव मैन्युअल रूप से या ड्रोन का उपयोग करके किया जा सकता है। इस तरह के तकनीकी उपाय न केवल कीटों के हमलों को नियंत्रित करने में मदद करेंगे, बल्कि चाय उत्पादकों के लिए उत्पादन में वृद्धि और बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगे।

इस पहल का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू भारत का 2047 तक चाय निर्यात को 400 मिलियन किलोग्राम तक बढ़ाने का लक्ष्य है, जो इस उद्योग के समग्र विकास में योगदान देगा।

संक्षेप में, एआई-आधारित हवाई इमेजिंग समाधान चाय की फसल के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति है जो कीटों के हमलों के प्रति बागवानों की प्रतिक्रिया को बेहतर बनाएगी और उनकी उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता करेगी।



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