Congress cites Kangana’s remarks to urge BJP on farm laws. (कांग्रेस ने कंगना के बयान से भाजपा पर कृषि कानून वापस करने का दबाव डाला।)

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Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)

  1. कांग्रेस का आरोप: कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सांसद कंगना रनौत की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा 2021 में निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की कोशिश कर रही है।

  2. किसान कानूनों का विवाद: कंगना ने एक वीडियो में कहा है कि जिन कृषि कानूनों को निरस्त किया गया, उन्हें फिर से लाना चाहिए, जिससे किसानों की समृद्धि में कोई बाधा न आए। इस टिप्पणी से कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया, यह बताते हुए कि किसानों के विरोध में 750 से अधिक किसान शहीद हुए।

  3. कांग्रेस का समर्थन: कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह किसानों के हितों के साथ है और यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है कि यह "काले कानून" फिर से लागू नहीं होंगे। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के संदर्भ में यह भी कहा कि हरियाणा इसका करारा जवाब देगा।

  4. कृषि कानूनों का इतिहास: तीन विवादित कानून – कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य अधिनियम, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम – को नवंबर 2021 में निरस्त किया गया था, जो पहले जून 2020 में लागू हुए थे।

  5. भाजपा की मंशा पर सवाल: कांग्रेस ने कंगना के बयानों को भाजपा की "असली सोच" बताया और आरोप लगाया कि यह भाजपा के दोहरे मापदंड को दर्शाता है, जिसमें किसानों को धोखा देने की कोशिश की जा रही है।

Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)

Here are the main points based on the provided text:

  1. Allegations by Congress: The Congress Party has accused BJP MP Kangana Ranaut of suggesting the revival of three farming laws that were repealed in November 2021. They claim that this indicates a hidden agenda by the ruling party to bring back controversial legislation.

  2. Farmers’ Protests and Sacrifices: The Congress highlighted that over 750 farmers lost their lives during the protests against these laws, emphasizing that it took significant public outcry for the Modi government to repeal them.

  3. Kangana’s Comments: In a video shared by Congress, Kangana Ranaut allegedly stated that the repealed agricultural laws should be reinstated for the benefit of farmers and that there should be a demand from farmers themselves for this to happen, which could potentially spark controversy.

  4. Congress’s Stance: The opposition party has reaffirmed its support for farmers, vowing that these "black laws" will not be reintroduced, particularly in light of the upcoming assembly elections in Haryana.

  5. Historical Context: The three controversial laws included the Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, the Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Agricultural Services Act, and the Essential Commodities (Amendment) Act. These were implemented in June 2020 but led to widespread protests and were eventually repealed in November 2021.


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Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)

किसान कानूनों का विवाद और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

नवंबर 2021 में, भारतीय सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया था, जो कि कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम शामिल थे। इन कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध नवंबर 2020 में शुरू हुआ, जो कि देशभर में व्यापक स्तर पर फैला।

किसानों का आंदोलन:
किसान आंदोलन ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया और सरकार को मजबूर किया कि वह इन कानूनों को वापस ले। कई किसानों ने इस आंदोलन के दौरान अपनी जान भी गंवाई, जिससे इस मुद्दे की गंभीरता और भी बढ़ गई। यह आंदोलन न केवल पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा चलाया गया, बल्कि विभिन्न राज्यों के किसानों ने भी इस प्रक्रिया में भाग लिया।

कांग्रेस पार्टी का रुख:
हाल ही में, कांग्रेस ने भाजपा सांसद कंगना रनौत की एक विवादास्पद टिप्पणी का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार इन निरस्त किए गए कानूनों को फिर से लागू करने की कोशिश कर रही है। रनौत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि किसानों के हित में ये कानून वापस लाए जाने चाहिए। कांग्रेस ने इस पर तीखा जवाब देते हुए कहा कि "काले कानून" किसानों पर थोपे गए थे और उनकी वापसी के प्रयासों का वे मुखर विरोध करेंगे। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और पवन खेड़ा ने भी इस मुद्दे को उठाया और दावा किया कि भाजपा अपनी वास्तविक मंशा को छिपा रही है।

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भाजपा और किसानों का संबंध:
भाजपा सरकार ने यह स्वीकार किया था कि किसान आंदोलन के कारण ही उन्हें ये कानून वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। इस बार फिर से इन कानूनों की चर्चा शुरू होने से यह सवाल उठता है कि क्या सरकार फिर से इसी नीति पर चलने का प्रयास करेगी। किसानों के हितों की सुरक्षा और उनकी आवाज को सुनना, सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

राजनीतिक परिदृश्य:
हरियाणा विधानसभा चुनावों के संदर्भ में, कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे किसानों के साथ खड़े हैं और इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की जनता भाजपा के प्रयासों का मुंहतोड़ जवाब देगी।

निष्कर्ष:
किसान आंदोलन और बाद में इन कानूनों का निरस्त होना, भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह स्पष्ट है कि किसानों के अधिकार और उनकी आवाज को अनदेखा नहीं किया जा सकता। राजनीतिक दलों को इस मुद्दे को गंभीरता से समझना चाहिए और किसानों के हितों के लिए काम करना चाहिए। कांग्रेस पार्टी का यह दृढ़ रुख यह दर्शाता है कि वे कृषि मुद्दों पर किसानों के साथ खड़े हैं और किसी भी प्रकार के कानून को फिर से लागू करने के खिलाफ हैं।

इस प्रकार, किसान कानूनों का विवाद भारतीय राजनीति में एक केंद्रीय मुद्दा बना हुआ है, और इसका समाधान केवल किसानों के हक में उचित और संवेदनशील नीतियों के माध्यम से ही हो सकता है।


Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)

In September 2024, the Congress party accused the ruling Bharatiya Janata Party (BJP) of attempting to reinstate three controversial agricultural laws that were repealed in November 2021. These laws included the Agricultural Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, the Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Agricultural Services Act, and the Essential Commodities (Amendment) Act. The party referenced remarks made by BJP Member of Parliament Kangana Ranaut, who allegedly stated that repealed agricultural laws should be reintroduced for the benefit of farmers.

In a video shared by Congress on social media platform X, Ranaut argued that it could be controversial but insisted the laws should be reinstated, stating that farmers should demand their return to avoid any hindrance to their prosperity. She emphasized the importance of farmers as a pillar of India’s progress, referencing that objections to the laws came mainly from a few states.

The Congress party reacted strongly, reminding that over 750 farmers lost their lives protesting against these laws, which led to their eventual repeal by the Modi government. The party declared its unwavering support for farmers, insisting that the “black laws” as they referred to them, would never be reinstated, regardless of BJP’s efforts. Congress spokespersons, including Supriya Srinet and Pawan Khera, reinforced this stance, sharing the video and making it clear that they would not allow such moves to happen, especially with assembly elections approaching in Haryana.

The background of this situation dates back to late 2020 when widespread protests against the laws began, continuing until their repeal in November 2021. The laws, initially enacted in June 2020, had sparked significant discontent among farmers who feared they would undermine their livelihoods. Congress, now aiming to strengthen its position ahead of upcoming elections, highlighted the need for accountability and the respect of farmer interests, reiterating their commitment to safeguarding against any potential return of the laws.

In conclusion, Congress’s strong opposition to the potential reinstatement of the agricultural laws reflects both a historical sensitivity to farmer welfare and a strategic political move in the context of ongoing electoral dynamics. The party’s narrative positions them as allies to farmers, contrasting sharply with the ruling party’s agenda as expressed through Ranaut’s comments.



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