Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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कंगना रनौत की टिप्पणी ने कांग्रेस और भाजपा के बीच विवाद को जन्म दिया, जिसमें उन्होंने किसानों से कृषि कानूनों की वापसी की मांग करने का आह्वान किया। राहुल गांधी ने इसे भाजपा की एक संभावित योजना के रूप में देखा और मोदी सरकार से स्पष्टता मांगी।
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राहुल गांधी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वे किसानों के मुद्दों का परीक्षण कर रहे हैं और यह संकेत दिया कि यदि सरकार काले कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की कोशिश करेगी, तो किसानों का आंदोलन दोगुना हो जाएगा।
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कंगना ने अपने विवादास्पद बयान में कहा कि निरस्त किए गए कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए और किसानों को अपनी मांग खुद उठानी चाहिए।
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भाजपा ने कंगना की टिप्पणी से खुद को अलग करते हुए कहा कि वह पार्टी की तरफ से अधिकृत नहीं हैं और यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं।
- कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि "काले कानून" कभी वापस नहीं लौटेंगे, और भाजपा के प्रयासों को नकारते हुए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन की पुष्टि की।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the article:
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Kangana Ranaut’s Controversial Comment: Actress-politician Kangana Ranaut suggested that farmers should demand the return of repealed agricultural laws, which sparked criticism from the BJP and drew attention from Congress leader Rahul Gandhi.
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Rahul Gandhi’s Response: In a video message, Rahul Gandhi questioned whether the BJP’s leadership was testing public opinion through Ranaut’s statement and urged Prime Minister Modi to clarify the party’s stance on the agricultural laws.
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Congress’s Firm Stance: The Congress party reacted strongly against the idea of reinstating the repealed agricultural laws, asserting that they will not return regardless of any attempts from Modi and his party members.
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Kangana’s Justification: Despite the backlash, Ranaut maintained that her views are personal and called on farmers to advocate for the reinstatement of the laws for their own benefit, labeling potential backlash as controversial.
- BJP’s Disassociation: The BJP distanced itself from Ranaut’s comments by stating that she is not authorized to speak on behalf of the party regarding agricultural policies, emphasizing that her opinions do not reflect the party’s official stance.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
नई दिल्ली: कंगना रनौत, एक प्रमुख अभिनेत्री और भाजपा की समर्थक, ने हाल ही में एक विवादास्पद टिप्पणी की है जिसमें उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि उन्हें कृषि कानूनों की वापसी की मांग करनी चाहिए। उनकी इस बात ने भाजपा की आलोचना का कारण बना और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने इसे एक राजनीतिक खेल का हिस्सा उल्लेख किया। गांधी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि भाजपा अक्सर विचारों को आवाज देने के लिए किसी को सामने लाती है और फिर जनता की प्रतिक्रिया का आकलन करती है। उन्होंने नरेंद्र मोदी से स्पष्टता की मांग की कि क्या भाजपा फिर से उन कृषि कानूनों को पुनर्जीवित करने की फिराक में है, जिन्हें किसानों के विरोध के चलते वापस लिया गया था।
राहुल गांधी ने कहा, “यदि आप काले कानूनों को पुनर्जीवित करने जा रहे हैं, तो मैं गारंटी देता हूं कि भारत ब्लॉक किसानों के साथ खड़ा होगा।” उन्होंने किसानों की सुरक्षा और उनके मुद्दों को लेकर भाजपा पर आरोप लगाया कि सरकार के निर्णय लेने में कोई अन्य पार्टी के सांसद नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी ही शासक हैं। यह बयान उस समय आया जब देश के कई हिस्सों में किसान अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और पिछले आंदोलन में सैकड़ों किसानों की मृत्यु हो चुकी है।
कंगना रनौत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया में कांग्रेस ने कहा कि ये विवादित कृषि कानून अब वापस नहीं आएंगे, भले ही मोदी सरकार कितनी भी कोशिश कर ले। कंगना ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसानों को अपने हक के लिए आवाज उठानी चाहिए। इस पर भाजपा ने भी अपनी स्थिति साफ की है, पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि कंगना का बयान भाजपा के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं करता।
कंगना ने कहा कि उनके विचार व्यक्तिगत हैं और किसी पार्टी के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इस टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा इस सवाल पर स्थिति को स्पष्ट करने से कतराते हुए नजर आ रही है। उनके बयान पर राजनीति तेज हो गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कृषि संबंधी मुद्दे आने वाले समय में चुनावी मैदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
सारांश में, यह पूरा मामला उस स्थिति को दर्शाता है जहां राजनीतिक बयानबाजी, किसान आंदोलन और कृषि कानूनों की वापसी को लेकर बहस जारी है। किसानों के मुद्दे और उनकी आवाज को महत्व देना अब भारतीय राजनीति का एक केंद्रीय बिंदु बन गया है, और कंगना रनौत की टिप्पणी ने इस मुद्दे को और भी धारदार बना दिया है।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
In recent events, actress-turned-politician Kangana Ranaut made a controversial remark suggesting that farmers should demand the reinstatement of the now-repealed agricultural laws in India. This statement has prompted sharp criticism from the Bharatiya Janata Party (BJP), with prominent Congress leader Rahul Gandhi questioning whether this was part of a strategic acid test orchestrated by the BJP’s top leadership.
In a video message, Gandhi expressed his concerns about the BJP’s tactics, stating, “People in the BJP keep testing ideas.” Although he did not directly mention Ranaut, he emphasized that the BJP requests individuals to voice thoughts in public and then gauges the public’s reaction. He challenged Prime Minister Modi, asking for clarification on whether he opposes these laws or intends to reignite them. Gandhi warned that if the BJP attempts to revive the controversial ‘black laws,’ he guarantees that the farmers of India would stand united against such moves.
Gandhi also pointed out the grave consequences of the previous implementation of these laws, which led to the deaths of over 700 farmers, primarily from Haryana and Punjab. He reiterated that any conspiracy against farmers by the BJP would not succeed in India, stating that the country stands with its farmers.
Following Ranaut’s remarks, Congress reacted strongly, asserting that the “black laws” will never be brought back, regardless of the BJP’s efforts. The party’s upper leadership had previously reprimanded Ranaut for her comments concerning farmers, but she reiterated her stance, suggesting that the repealed agricultural laws should be restored and that farmers should actively demand them. She acknowledged the contentiousness of her statement, urging farmers to advocate for their own welfare.
In response to the backlash, a BJP spokesperson, Gaurav Bhatia, distanced the party from Ranaut’s comments, clarifying that she was not authorized to make such statements on behalf of the BJP and that her views did not reflect the party’s stance on the agricultural bills. Ranaut, in her defense, stated that her opinions on the agricultural laws were personal and did not represent the BJP’s position.
The ongoing debate surrounding the agricultural laws highlights the complex dynamics between political leadership, farmers’ rights, and public discourse in India. The situation remains contentious as various stakeholders continue to navigate the implications of these laws on the nation’s agricultural policies and the livelihoods of farmers.
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