Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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याचिका का उद्देश्य: उच्च न्यायालय में दायर याचिका में भारत द्वारा 3,000 टन हिल्सा मछली के निर्यात की अनुमति देने के निर्णय को रद्द करने की मांग की गई है, इसके साथ पद्मा, मेघना और बांग्लादेश की अन्य नदियों से हिल्सा मछली के निर्यात पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
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वकील की कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट के वकील मोहम्मद महमूदुल हसन ने पहले कानूनी नोटिस भेजने के बाद आज याचिका दायर की, क्योंकि सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी।
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प्रतिवादी पक्ष: याचिका में वाणिज्य मंत्रालय, मत्स्य एवं पशुधन मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, और अन्य संबंधित अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया गया है।
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बांग्लादेश में हिल्सा की स्थिति: बांग्लादेश के मत्स्य अनुसंधान संस्थान के अनुसार, केवल 10% हिल्सा पद्मा नदी में पाई जाती है, और वहां की मांग को पूरा करने के लिए यह मात्रा अपर्याप्त है।
- आयात का प्रभाव: याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारतीय एजेंट और निर्यातक बांग्लादेश से हिल्सा का निर्यात करते हैं, जिससे बांग्लादेश के बाजारों में हिल्सा की कमी और कीमतों में वृद्धि होती है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the provided article text:
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Legal Action Against Export Decision: A petition was filed in the High Court requesting the annulment of the Indian Commerce Ministry’s decision to export 3,000 tons of Hilsa fish, highlighting concerns over India’s reliance on fish imports from Bangladesh.
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Call for Permanent Ban: The petition also demands a permanent ban on the export of Hilsa fish from rivers like Padma and Meghna in Bangladesh, arguing that it is unnecessary for India to import this fish since it can be found in various Indian rivers.
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Impact on Bangladesh’s Supply: The petitioners argue that the exportation of Hilsa deprives Bangladeshi markets of this fish, leading to shortages and increasing prices, as only 10% of Hilsa caught in Bangladesh is sourced from the Padma River, which is insufficient to meet local demand.
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Compliance with Bangladesh’s Export Policy: It cites Bangladesh’s 2021-24 export policy, stating that Hilsa is not freely exportable and requires specific permissions from the Ministry of Fisheries and Livestock prior to export.
- Legal Notice Preceding Petition: The lawyer representing the petition mentioned that prior legal notices were sent to relevant parties demanding action against the government’s decision before filing the petition, indicating a push for accountability in the export process.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
हाल ही में एक उच्च न्यायालय में एक याचिका विचाराधीन है, जिसमें भारत के वाणिज्य मंत्रालय के निर्णय को चुनौती देने की मांग की गई है। इस निर्णय के तहत भारत ने 3,000 टन हिल्सा मछली के निर्यात की अनुमति दी है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मोहम्मद महमूदुल हसन द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने पहले सरकारी अधिकारियों को इस मुद्दे पर कानूनी नोटिस भेज रखा था।
इस याचिका में मांग की गई है कि बांग्लादेश की नदियों, खासकर पद्मा और मेघना से हिल्सा मछली के निर्यात पर स्थायी प्रतिबंध लगाया जाए। याचिका के अनुसार, भारत में हिल्सा मछली की प्रचुरता है, इसलिए बांग्लादेश से मछली आयात करने का कोई औचित्य नहीं है। बांग्लादेश मत्स्य अनुसंधान संस्थान के अनुसार, बांग्लादेश में पकड़ी गई हिल्सा का केवल 10% पद्मा नदी में पाया जाता है, जो कि बांग्लादेश के बाजारों की मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि भारतीय एजेंट और निर्यातक बांग्लादेश से हिल्सा की मछलियाँ इकट्ठा करते हैं और उन्हें भारत में निर्यात या तस्करी करते हैं। इससे बांग्लादेश के बाजारों में हिल्सा मछली की कमी होती है और इसकी कीमतें बढ़ जाती हैं। बांग्लादेश की निर्यात नीति के अनुसार, हिल्सा को स्वतंत्र रूप से निर्यात योग्य वस्तु नहीं माना जाता। यदि इसका निर्यात किया जाना है, तो इसके लिए विशेष शर्तें पूरी करनी होती हैं, और वाणिज्य मंत्रालय को मत्स्य एवं पशुधन मंत्रालय की मंजूरी के बिना ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
इस संदर्भ में, याचिका ने यह स्पष्ट किया है कि इस निर्यात के लिए उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है, और इसलिए इसे रद्द करने की मांग की गई है। इससे न केवल बांग्लादेश की मछली की कीमतों पर, बल्कि उसके स्थानीय बाजारों पर भी दबाव बढ़ता है। मुख्य रूप से हिल्सा मछली की इस समस्या ने पड़ोसी देशों के बीच व्यापारिक और सामरिक संबंधों को भी प्रभावित किया है।
अंततः, यह याचिका भारत बांग्लादेश व्यापार संबंधों की जटिलता को उजागर करती है, जिसमें स्थानीय समुदायों की भलाई और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के प्रति जिम्मेदारी शामिल है। इस याचिका पर अदालत का निर्णय आने वाले समय में दोनों देशों के बीच व्यापारिक नीतियों की दिशा तय कर सकता है।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
A recent petition has been filed in the High Court of India seeking to challenge the Ministry of Commerce’s decision to export 3,000 tons of Hilsa fish from Bangladesh. Advocate Mohammad Mahmudul Hasan submitted the petition, stating that prior legal notices sent to relevant parties resulted in no action, prompting the need for a writ petition.
Key respondents in the writ include the Secretary of the Ministry of Commerce, the Secretary of the Ministry of Fisheries and Livestock, the Secretary of the Ministry of External Affairs, the Chairman of the National Revenue Board, and the Chief Controller of the Import and Export Office. The petition also calls for a permanent ban on the export of Hilsa fish from the Padma, Meghna, and other rivers in Bangladesh.
The petition argues that Hilsa fish is abundant in various rivers in India, making it unnecessary for India to import it from Bangladesh. According to the Bangladesh Fisheries Research Institute, only 10% of the Hilsa caught in Bangladesh comes from the Padma River. This amount is deemed insufficient to meet the local demand.
Reports from various media outlets in West Bengal have highlighted statements from leaders of the Indian Fish Importers Association, confirming that they do import Hilsa from the Padma River. Additionally, the petition claims that Indian agents and exporters are continuously collecting fish from the Padma River throughout the year and then exporting or smuggling them into India. This practice results in a shortage of Hilsa in Bangladeshi markets and leads to increased prices of the fish.
The Bangladesh export policy for 2021-24 states that Hilsa is not freely exportable; certain conditions must be met if its export is to be allowed. The petition asserts that the Ministry of Commerce cannot approve the export of Hilsa without explicit permission from the Ministry of Fisheries and Livestock.
In summary, the petition raises significant concerns regarding the export of Hilsa fish, arguing that it adversely impacts local markets in Bangladesh and calling for stricter regulations on its exportation.
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