Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: 2024 के फार्मर वॉयस सर्वे के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत किसान जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं या इसके प्रभावों को लेकर चिंतित हैं, और 71 प्रतिशत किसानों ने कम पैदावार को एक बड़ी चिंता बताया है।
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तकनीकी नवाचारों की आवश्यकता: सर्वेक्षण के अनुसार, 75 प्रतिशत किसान जलवायु परिवर्तन से बेहतर तरीके से निपटने के लिए नई तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार हैं, और 10 में से आठ किसान खेती के तरीकों को बदलने के लिए इच्छुक हैं।
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भारतीय किसानों की प्राथमिक चिंताएं: भारतीय किसानों के लिए कीटों का हमला सबसे बड़ा चिंता का विषय है, जहां 41 प्रतिशत किसानों ने इस बारे में चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही 36 प्रतिशत किसानों ने अस्थिर मौसम को एक महत्वपूर्ण चुनौती बताया है।
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बढ़ती लागत की चुनौतियाँ: 36 प्रतिशत किसानों ने फसल सुरक्षा और कीटनाशकों की कीमतों में वृद्धि को सबसे बड़ी चुनौती बताया। इसके अलावा, उर्वरक लागत, ऊर्जा और बीज लागत जैसी अन्य चुनौतियां भी किसानों के सामने हैं।
- पुनर्योजी कृषि का महत्व: अधिकांश भारतीय किसान मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए पुनर्योजी कृषि को अपनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन ज्ञान की कमी और तकनीकी उच्च लागत इसके व्यापक अपनाने में बाधा बनी हुई है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the provided text regarding the 2024 Farmer Voice survey:
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Impact of Climate Change on Farmers: Approximately 75% of farmers are already experiencing the effects of climate change or are concerned about it, with 71% citing lower yields as a major worry. The survey included 2,000 farmers from various countries, including India, Brazil, and the USA.
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Revenue Loss Due to Weather Events: About 60% of farmers reported significant revenue losses due to recent unusual weather events, reflecting the increasing challenges they face.
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Adoption of Innovation and Technology: 75% of farmers are willing to adopt new technologies to better manage the impacts of climate change. This highlights a growing interest in more resilient agricultural practices and innovation as solutions.
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Pest Damage and Economic Challenges in India: In India, pest attacks are the primary concern for farmers, with 41% indicating that such damage leads to increased costs. Additionally, 36% are worried about unstable weather and its difficulties.
- Challenges of Increasing Costs and Labor Availability: The survey indicates that rising crop protection costs and labor availability are significant challenges for farmers. The need for greater recognition and the role of farmers in ensuring food security is also emphasized, with 90% believing in their crucial role in this area.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
2024 का फार्मर वॉयस सर्वे: जलवायु परिवर्तन और किसानों की चिंताएँ
2024 के फार्मर वॉयस सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत किसान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर रहे हैं या इसके प्रति चिंतित हैं। सर्वेक्षण में शामिल 71 प्रतिशत किसानों ने कम पैदावार को एक गंभीर चिंता बताया है। यह सर्वेक्षण बेयर द्वारा वैश्विक बाजार अनुसंधान फर्म काइनेटेक के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, चीन, जर्मनी, भारत, केन्या, यूक्रेन, और अमेरिका जैसे देशों के 2,000 किसानों के बीच किए गए थे।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, 10 में से 6 किसानों ने हाल ही में मौसम की असामान्य घटनाओं के कारण अपनी आय में भारी नुकसान का अनुभव किया है। इसके समाधान के रूप में, किसान नवाचार का सहारा ले रहे हैं, और 75 प्रतिशत किसान जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार हैं। बेहतर पैदावार, लचीले खेतों और सुरक्षित आजीविका के लिए उनकी चाहत तकनीकी और पुनर्योजी दृष्टिकोणों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है।
भारत में किसानों की चिंताएँ
भारतीय किसानों के संदर्भ में, कीटों के हमले ने फसलों के लिए सबसे बड़ी चिंता उत्पन्न की है। सर्वेक्षण में शामिल 41 प्रतिशत किसानों ने बताया कि कीटों के कारण फसलों को नुकसान हुआ है, जिससे उनके खर्चों में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, 36 प्रतिशत किसानों ने अस्थिर मौसम को एक अन्य गंभीर चिंता का विषय बताया। इन चिंताओं के साथ, भारतीय किसान मानते हैं कि उनकी भूमिका खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण है और उन्हें अधिक सम्मान और सुनवाई मिलनी चाहिए।
आर्थिक बाधाएं और चुनौती
सर्वेक्षण में शामिल 36 प्रतिशत किसानों ने बताया कि फसल सुरक्षा लागत में वृद्धि और कीटनाशकों, खरपतवार नाशकों, और कवकनाशकों की कीमतों में बढ़ोतरी उनके लिए मुख्य चुनौती है। इसके साथ ही, बढ़ती लागत और श्रम की उपलब्धता के संबंध में 32 प्रतिशत किसानों ने चिंता व्यक्त की। भारत में किसानों को मूल्य आय में उतार-चढ़ाव, उर्वरक, ऊर्जा, और बीज की लागत, नई तकनीकों के बारे में जानकारियों की कमी जैसे अन्य प्रमुख चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
तकनीकी अपनाने में अवरोध
जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने के कारण कृषि तकनीकों को अपनाना आवश्यक हो गया है। सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग सभी किसान जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को अनुभव कर चुके हैं या उनका अनुमान लगा रहे हैं। हालांकि, डिजिटल तकनीकों का वर्तमान में कम उपयोग होने के बावजूद, समय के साथ किसान इसे अपनाने के लिए तैयार हैं। मुख्य कारण हैं उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी। फिर भी, निवेश की आवश्यकताएँ और जानकारी की कमी तकनीकी अपनाने में प्रमुख बाधाएँ बनी हुई हैं।
पुनर्योजी कृषि की ओर बदलाव
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि अधिकांश भारतीय किसान मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए पुनर्योजी कृषि के तरीकों को अपनाने में रुचि रखते हैं, लेकिन ज्ञान और समझ की कमी उनके व्यापक रूप से अपनाने में बाधा डालती है। 80 प्रतिशत किसान कम से कम 4-5 बार पुनर्योजी कृषि के उपायों का प्रयोग करते हैं, जबकि एक तिहाई किसानों ने ‘पुनर्योजी कृषि’ की अवधारणा से अनभिज्ञता जाहिर की है।
किसानों की आवाज़ का महत्व
बेयर एजी के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य रोड्रिगो सैंटोस ने कहा कि इस सर्वेक्षण ने यह स्पष्ट किया कि किसान अपने कार्यों के लिए समर्थन और नवाचार की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। वह कहते हैं, "किसानों का लक्ष्य खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, और उनके योगदान को मान्यता मिलने की आवश्यकता है।" इससे यह समझ में आता है कि कृषि में नवाचार का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो न केवल पर्यावरणीय स्थिरता के लिए आवश्यक है, बल्कि किसानों की आय और आजीविका के लिए भी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, 2024 के इस सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन का असर न केवल किसानों की आय पर पड़ रहा है, बल्कि उनकी कृषि पद्धतियाँ भी प्रभावित हो रही हैं। बढ़ती लागत और कीटों के हमले जैसे चुनौतियों के बीच, किसान नवाचार और नई तकनीकों को अपनाने के लिए तत्पर हैं। इस परिवर्तन के लिए उन्हें सरकार, बाजार, और वैज्ञानिक समुदाय से सहायता की आवश्यकता है, ताकि वे अपनी खेती को अधिक पुनर्योजी और टिकाऊ बना सकें।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
2024 के फार्मर वॉयस सर्वे का संक्षेप में सारांश:
2024 के फार्मर वॉयस सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत किसान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रभावित हैं या चिंतित हैं। इनमें से 71 प्रतिशत ने कम पैदावार को एक गंभीर चिंता बताई है। यह सर्वेक्षण ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, जर्मनी, भारत, केन्या, यूक्रेन और अमेरिका जैसे देशों के 2000 किसानों के बीच बेयर द्वारा आयोजित वैश्विक बाजार अनुसंधान फर्म काइनेटेक द्वारा किया गया।
सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि 60 प्रतिशत किसान हाल की मौसम की अनियमितताओं के कारण राजस्व में महत्वपूर्ण नुकसान का सामना कर चुके हैं। इसके समाधान के लिए, 75 प्रतिशत किसान जलवायु परिवर्तन को अधिक प्रभावी ढंग से संभालने हेतु नई तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार हैं। बेहतर पैदावार और टिकाऊ जीवनशैली की आकांक्षा किसानों को अधिक पुनर्योजी और तकनीकी दृष्टिकोणों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है।
भारत में किसानों की चिंताएं:
भारतीय किसानों के लिए कीटों के हमले ने सबसे अधिक चिंता का विषय बना। 41 प्रतिशत किसानों ने कीटों के हमलों के कारण फसलों को होने वाले नुकसान के जोखिम के बारे में चिंता जताई। इसके अलावा, 36 प्रतिशत किसानों ने अस्थिर मौसम को एक प्रमुख चिंता का विषय बताया, जिससे निपटना उनके लिए कठिन हो रहा है। किसानों का मानना है कि उनकी आवाज़ को अधिक तरजीह दी जानी चाहिए, क्योंकि 90 प्रतिशत का मानना है कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।
अर्थव्यवस्था और खर्च:
सर्वेक्षण में 36 प्रतिशत किसानों ने फसल सुरक्षा की बढ़ती लागत और कीटनाशकों, खरपतुनाशकों की बढ़ती कीमतों को सबसे बड़ी चुनौती बताई। इसके अलावा, किसानों ने मूल्य के उतार-चढ़ाव, उर्वरक की लागत, ऊर्जा और बीज की कीमतों सहित अन्य मुद्दों पर भी चिंता जताई। सार्वजनिक धारणा में नकारात्मकता और नई तकनीक तक पहुँच को भी बाधा माना गया।
तकनीक का उपयोग और पुनर्योजी कृषि:
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर भारतीय किसान चिंतित हैं, और अधिकांश ने इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए अपनी खेती के तरीके बदलने की इच्छा जताई है। सर्वेक्षण से यह बात भी सामने आई है कि किसानों में डिजिटल तकनीकों को अपनाने में रुचि है, लेकिन उच्च लागत और आवश्यक निवेश इसके उपयोग में बाधाएँ हैं।
हालाँकि, भारतीय किसान पुनर्योजी कृषि की अवधारणा को समझने और अपनाने में रुचि रखते हैं, फिर भी एक तिहाई किसान इस शब्द के अर्थ से अनजान हैं। लगभग 80 प्रतिशत किसान पुनर्योजी कृषि के कुछ पौष्टिक तरीके अपनाते हैं, जबकि इसकी प्राथमिकता मृदा स्वास्थ्य पर है।
अंतिम विचार:
बेयर एजी के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य रोड्रिगो सैंटोस ने कहा कि किसानों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि किसानों को नवाचार की आवश्यकता है जिससे वे कृषि में लचीलापन लाने में सक्षम हो सकें, और इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होगी।
अंत में, यह सर्वेक्षण यह दर्शाता है कि किसान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करते हुए अपनी मेहनत को संरक्षित करने के लिए बेहतर प्रथाओं को अपनाने की दिशा में तत्पर हैं।