Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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किसानों की स्थिति: भारत के कपास उत्पादक किसान एक गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं, जिससे उन्हें अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
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पशु बीमा की कमी: केवल 8% किसानों के पास पशु बीमा है, जिससे उनकी वित्तीय सुरक्षा अत्यधिक सीमित है।
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बीमा तक पहुंच की समस्या: बहुत से किसानों को बीमा तक पहुंच नहीं है, जो उनके लिए एक बड़ा जोखिम बन रहा है और उनके संकट को और बढ़ा रहा है।
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IIED और आपदा न्यूनीकरण संस्थान की भूमिका: IIED और भारत के आपदा न्यूनीकरण संस्थान जैसे संगठनों द्वारा किसानों की मदद करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- संरक्षण और सुधार की आवश्यकता: किसान समुदाय की स्थिति को सुधारने और सुरक्षित करने के लिए बीमा प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points based on the provided text:
1. Farmers in India, particularly cotton producers, are facing severe challenges that force them to sell their land.
2. A significant number of farmers (only 8%) have access to livestock insurance, which leaves them vulnerable to losses.
3. Many farmers struggle to access insurance, highlighting a critical gap in support for rural agriculture and livestock management.
4. The situation is exacerbated by various factors, including climate change and economic pressures, leading to a cycle of despair among farmers.
5. Institutions like IIED (International Institute for Environment and Development) and India’s disaster management bodies are involved in addressing these issues.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
… के लिए एक दुःस्वप्न में किसानों हर जगह और भारतके कपास उत्पादक… जमीन बेचने के लिए मजबूर हैं पशुजबकि एक छोटी संख्या… केवल 8% के पास थी पशु बीमा। बहुत सारे किसानों‘बीमा तक पहुंच… IIED और सभी द्वारा भारत आपदा न्यूनीकरण संस्थान।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
In a nightmarish situation, farmers everywhere in India, especially cotton producers, are being forced to sell their land. Meanwhile, only a small percentage, just 8%, have livestock insurance. Many farmers lack access to insurance services, as noted by IIED and the Indian Disaster Management Institute.
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