Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
इस लेख के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
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मोटे अनाज का व्यापार: लेख में आठ प्रकार की मोटे अनाज की फसलों का उल्लेख किया गया है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उच्च मांग में हैं। इनकी कीमत बाजार में 5000 से 7000 रुपये तक होती है, जो किसानों के लिए लाभकारी है।
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बिहार में कृषि क्रांति: बिहार के कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। किसान पुनः उन फसलों की खेती कर रहे हैं जो पहले असफल रही थीं, जैसे सांवा, बाजार और मडुआ। कृषि विभाग के सहयोग से इन फसलों की खेती बढ़ रही है।
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सांवा की खेती का उदय: जिले के गुरारू खंड में 25 ओकरे क्षेत्र में सांवा की सफल खेती हो रही है। पहले बंजर भूमि पर अब मोटे अनाज की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिल रहा है।
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स्वास्थ्य लाभ: मोटे अनाज खाने के स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ हैं, क्योंकि ये प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया है, जिससे इनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग बढ़ी है।
- सरकारी प्रोत्साहन: सरकार ने किसानों को मोटे अनाज और अन्य फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन राशि देने की योजना बनाई है। प्रति सप्ताह 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि से किसानों को बेहतर आय की उम्मीद है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the article:
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Market Demand for Coarse Grains: Eight types of grains fall under the category of coarse grains, which have high demand in both national and international markets. These grains are considered highly nutritious and can fetch prices between 5000 to 7000 rupees per unit.
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Revival of Traditional Farming in Bihar: The agricultural sector in Bihar is experiencing significant changes, with a resurgence of traditional crops, particularly coarse grains like ‘sawa’ (barnyard millet) and ‘maduwa’ (finger millet), thanks to the hard work of farmers.
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Successful Cultivation on Barren Land: Farmers in the Guraru block of Bihar are successfully cultivating sawa on previously barren land, revitalizing the agricultural potential of the region. The agriculture department is supporting local farmers in these endeavors.
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Health Benefits of Coarse Grains: Coarse grains are linked to numerous health benefits due to their high protein and calcium content. Their cultivation is increasingly important since the United Nations declared 2023 as the International Year of Millets, promoting their consumption.
- Incentives for Farmers: The government has implemented incentive programs to encourage farmers to grow coarse grains. Registered farmers can receive a weekly subsidy of 2000 rupees to support the cultivation of these grains alongside traditional crops, aiming for self-sufficiency and improved income.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
आठ फसलें ऐसी हैं, जो अनाज के अंतर्गत आती हैं। इन बिजनेस की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है। यह स्वास्थ्यवर्धक के लिए काफी बढ़िया है। ऐसे किसानों के व्यवसाय से करने से तो बहुत ज्यादा है, वहीं बाजार में इन बीजों की कीमत 5000 से 7000 हजार रुपये प्रति प्रारंभिक तक है।
बिहार राज्य के कृषि क्षेत्र में काफी क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान में जो फसलें मौजूद जा रही हैं, अब फिर से उनका दौर वापस आ रहा है। ये सब वहां के किसानों की मेहनत से ही संभव हो रहा है। तभी तो स्वस्थ्य रहने के लिए रामबाण माने जाने वाले किसानों ने फिर से खेती करना शुरू कर दिया है। जबकि यह इस जिले में असफल रहा, लगभग खो गया था, लेकिन इससे होने वाले हिस्से और मुनाफे को देखते हुए किसानों ने सांवा, बाजार और मदुआ यानी रागी की खेती शुरू कर दी है।
जिले में 25 ओकरे में हो रही साँवा की खेती
जिले के गुरारू खंड 25 में सावा की फसल वर्तमान में लहलहा रही है, जो जमीन कभी बंजर दिखती थी, अब उसी जमीन पर मोटे अनाज की खेती का प्रयोग काफी सफल दिख रहा है। इस विवरण के कई किसानों ने 25 ओक कलस्टर क्षेत्र में कृषि विभाग के सहयोग से सांवा की खेती करना शुरू किया है। अब कुछ ही दिनों में इसकी कटिंग भी शुरू हो जाएगी. इसके अलावा सस्ता सेंटर के अलावा किसान बाजार और मडुआ की भी खेती कर रहे हैं। कृषि विभाग भी किसानों के लिए आवेदन कर रहा है।
क्या होता है अनाज का महत्व
आठ मिश्रित अनाजों के अंतर्गत रखा गया है। इन बिजनेस की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है। यह फ़सल स्वास्थ्य के लिए मज़ेदार तो हैं ही, इन बीजाणु की खेती से किसानों की कमाई भी होती है। बाजार में इन बिजनेस की कीमत 5000 से 7000 हजार रुपये प्रति डॉलर तक है। इन उद्यमों में कोई पुराना व्यवसाय नहीं है और कोई भी व्यवसाय खराब नहीं है। तभी तो अब मोटे अनाजों को सबसे ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।
ये हैं मोटे अनाज के फायदे
मोटे अनाज खाने से शरीर को काफी फायदे होते हैं। इसे खाने से कई गंभीर गंभीर लाभ होते हैं। इसे खाने से रिकॉर्ड्स में जगह मिलती है। क्योंकि इसमें प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा प्रचुर होती है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मोटे अनाज की काफी मांग है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 में मीट्स वर्ष के लिए इन गेहूं की खेती की घोषणा की थी।
किसान अनाज उगाने वाले किसानों के खेतों तक जाते हैं, जिससे अनाज उगाने वाले किसानों की संख्या बढ़ जाती है। वहीं कृषि अभिलेखों में शेयरधारकों के प्रयास का प्रबंध किया जाता है, ताकि उनका उत्साहवर्धन हो।
जिले के क्षेत्रीय कृषि मानक ने बताया कि अनाज, चना, मसूर, मक्का और तिलहन की फसल, सरसों, तीसी के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के लिए किसानों को सम्मानजनक दर पर बीज और खेती के बाद प्रति सप्ताह 2 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि उनके बैंक नीचे दिए गए विवरण में बताया गया है. सरकार ने यह कदम उठाया है, ताकि किसान धान, मुख्य फसल के साथ-साथ ऐसे बीजों के उत्पादन में रुचि लें और बेहतर कमाई करें। मोटे अनाज और मोटे अनाज से युक्त होता है।
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Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
There are eight types of crops that fall under the category of coarse grains. These crops are in high demand in both national and international markets. They are considered to be very healthy. The price of these seeds in the market can range from 5,000 to 7,000 rupees per quintal.
The agricultural sector in Bihar is experiencing significant changes. The crops that are currently being grown are making a comeback thanks to the hard work of local farmers. Farmers, who are often seen as key to health, have resumed farming after facing previous failures in this district. They have decided to cultivate “sawa,” “bazaar,” and “madua,” also known as ragi, in light of the profits they can earn.
Farming of Sawa in 25 Clusters
In the Guraru block, farmers have started cultivating sawa on previously barren land, showing promising results in coarse grain farming. Many farmers have worked with the agricultural department to start cultivating sawa in a 25-cluster area. Cutting of the crops will begin soon, and in addition to sawa, they are also growing cheaper grains like “bazaar” and “madua.” The agricultural department is actively supporting these farmers.
Importance of Coarse Grains
The eight types of coarse grains are in high demand in both national and international markets. Not only are these crops beneficial for health, but they also provide good income for farmers. The market prices for these grains range from 5,000 to 7,000 rupees per quintal. There is a growing recognition of the importance of coarse grains in agriculture.
Benefits of Coarse Grains
Eating coarse grains offers numerous benefits for the body. They are rich in nutrients like protein and calcium. Additionally, there is a high demand for these grains in international markets, especially since the United Nations declared 2023 as the year of coarse grains.
Farmers who grow these crops can receive support that increases the number of farmers involved in coarse grain cultivation. Efforts are being made to motivate them through agricultural records and rewards.
The regional agricultural standards in the district state that to achieve self-sufficiency in grains like chickpeas, lentils, corn, and oilseeds, farmers will receive seeds at respectable rates along with weekly incentives of 2,000 rupees for cultivation. This initiative is aimed at encouraging farmers to grow these seeds alongside rice, the main crop, for better earnings. Coarse grains are becoming increasingly important in this context.
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