Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
यहां पाठ का मुख्य बिंदुओं का सारांश दिया गया है:
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सर्दी में बकरियों की सुरक्षा: सर्दियों के मौसम में बकरियों की ठंड से सुरक्षा के लिए शेल्टर (शेड) में बदलाव किए जाते हैं और उनकी टीकाकरण भी की जाती है। विशेष रूप से, बकरियों को दो प्रकार की खास टीकों की आवश्यकता होती है ताकि घातक बीमारियों से बचाया जा सके।
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प्रीवेंटिव उपाय: विशेषज्ञों के अनुसार, टीकाकरण से पहले बकरियों के शेड को बदलना आवश्यक है, ताकि ठंडी हवाएं अंदर न आ सकें। छोटे बकरियों के लिए निमोनिया का जोखिम अधिक होता है।
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बीमारियों का प्रसार: बकरी प्लेग (PPR) और छोटे चेचक (smallpox) जैसी घातक बीमारियों का शिकार हो सकती हैं। PPR एक संक्रामक बीमारी है, जबकि छोटे चेचक में शरीर पर चकत्ते दिखाई देते हैं, जिससे बकरियों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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बीमारियों के लक्षण और उपाय: बकरी प्लेग के लक्षणों में दस्त, बुखार, और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। छोटे चेचक के दौरान बकरियां फसल खाना भी बंद कर देती हैं। इन बीमारियों के उपचार के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी उपाय हैं।
- सीटिंग और उपचार: यदि कोई बकरी इन बीमारियों का शिकार होती है, तो उसे तुरंत अन्य बकरियों से अलग कर देना चाहिए। टीकाकरण की लागत कम होती है और इसे सरकारी केंद्रों पर मुफ्त में लगाया जा सकता है। यदि बकरियां बीमार पड़ जाती हैं, तो उपचार पर खर्च अधिक हो सकता है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the article:
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Winter Protection for Goats: During winter, special measures are implemented to protect goats from the cold, including improved shelter and necessary vaccinations to prevent diseases that are prevalent during this season.
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Critical Vaccinations: Two essential vaccinations, specifically against Pest des Petits Ruminants (PPR) and smallpox, should be administered to goats at the start of winter to prevent the spread of these fatal diseases within the herd.
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Symptoms of Plague and Smallpox: PPR is characterized by symptoms such as diarrhea, pneumonia, nasal discharge, and high fever. Smallpox leads to pneumonia and skin rashes, which can also result in decreased food and milk intake.
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Preventative Measures and Cost-Effectiveness: Regular vaccinations are a cost-effective strategy to avoid expensive treatments for these diseases, which can be provided for free at government centers.
- Isolation of Infected Goats: If a goat shows signs of either plague or smallpox, it is crucial to immediately separate it from the rest of the herd to prevent the spread of the disease.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
वास्तव में, सर्दी के मौसम में सभी प्रकार के जानवरों को ठंड से बचाने के प्रयास किए जाते हैं। लेकिन खास तौर पर बकरियों को ठंड से बचाने के लिए उनके शेड में बदलाव करने के साथ-साथ उनका टीकाकरण भी किया जाता है। क्योंकि बकरियों को ठंड के मौसम में कुछ बीमारियों का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है। इस सर्दी में बकरियों को दो खास प्रकार के टीके लगवाने की आवश्यकता होती है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो बकरियों के बाड़े में बीमारी फैल सकती है, जो काफी खतरनाक होती है।
सेंट्रल गोट रिसर्च इंस्टीट्यूट (CIRG), मथुरा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार बताते हैं कि बकरियों का टीकाकरण करने के साथ-साथ बकरियों के शेड में भी विशेष इंतज़ाम करने चाहिए। अन्यथा, सर्दी के मौसम में छोटे बकरियों को निमोनिया हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, टीका लगवाने से पहले सर्दी शुरू होते ही बकरियों के शेड में बदलाव करना चाहिए। बकरियों के शेड को इस तरह से कवर करें कि ठंडी हवा अंदर ना आ सके।
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अब अपने बकरियों का टीकाकरण प्लेग और वायरल फिवर के खिलाफ करवाएं।
पशु विशेषज्ञ डॉ. इब्ने अली भी किसानों को बताते हैं कि PPR (पेस्ट डेस पेटिट रमीनेन्ट्स) बकरियों के लिए एक जानलेवा बीमारी है। इसे बकरियों का प्लेग भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो जल्दी से अन्य बकरियों तक फैल जाती है। सर्दी के दौरान बकरियों में वायरल फिवर भी फैलता है। इस बीमारी में बकरियों के शरीर पर रैशेस आ जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि जैसे ही सर्दी शुरू हो, बकरियों को PPR और वायरल फिवर के खिलाफ टीका लगवाया जाए। अगर पशुपालकों ने अभी तक ये दो टीके नहीं लगवाएं हैं, तो इसमें देरी न करें। क्योंकि अगर एक बकरी को यह बीमारी होती है, तो यह जल्दी से अन्य बकरियों में फैल जाती है।
बकरियों में प्लेग-वायरल फिवर की पहचान ये है
डॉ. इब्ने अली बताते हैं कि बकरी के प्लेग की पहचान यह होती है कि बकरी को दस्त होता है, निमोनिया होता है, और नाक से पानी बहता है। इसमें बुखार भी होता है। यह बीमारी पुरानी बकरियों में अधिक होती है, और इससे बच्चों में भी फैल जाती है। इसी तरह, जब कोई बकरी वायरल फिवर से ग्रस्त होती है, तो उसे निमोनिया हो जाता है और बुखार होता है। बकरी चारा खाना बंद कर देती है, और बच्चे भी दूध पीने में कमी कर देते हैं।
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अगर बकरियों को प्लेग या वायरल फिवर हो जाए तो ये उपाय करें
डॉ. इब्ने अली कहते हैं कि बकरी के प्लेग और वायरल फिवर का सबसे बड़ा समाधान यह है कि हम बकरियों का नियमित रूप से टीकाकरण करें। क्योंकि टीकाकरण की लागत बहुत कम होती है और सरकारी केंद्रों पर मुफ्त में उपलब्ध होती है। हालांकि, यदि बकरियों को यह बीमारी हो जाती है, तो इसके इलाज में बहुत अधिक खर्च होता है। इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण कदम यह है कि यदि कोई बकरी प्लेग या वायरल फिवर से ग्रस्त हो जाए, तो उसे तुरंत अन्य बकरियों से अलग कर दें।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
Actually, during the winter season, efforts are made to protect all types of animals from the cold. But especially to protect the goats from cold, along with making changes in their sheds, their vaccination is also done. Because goats have some diseases which trouble them the most during the cold season. In this winter season, goats have to get two special types of vaccinations. If this is not done then disease can spread in the goats’ enclosure. This is a fatal disease.
Dr. Ashok Kumar, Principal Scientist of the Central Goat Research Institute (CIRG), Mathura, says that along with getting the goats vaccinated, special arrangements should also be made in the goat shed. Otherwise, pneumonia can affect small goats during winter season. According to experts, even before getting vaccinated, the goats’ shed should be changed as soon as winter begins. Cover the goat shed in such a way that cold winds do not enter it easily.
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Get your goats vaccinated against plague and smallpox now.
Animal expert Dr. Ibne Ali told even the farmers that PPR (Pest des Petits Ruminants) is a fatal disease in goats. It is also called plague of goats. This is an infectious disease, so it quickly spreads to other goats also. Along with this, smallpox also spreads among goats during this season. During smallpox, rashes appear on the body of goats. Therefore, it is important that goats be vaccinated against PPR and smallpox as soon as winter begins. If the cattle rearers have not yet got these two vaccines, then do not delay in getting them done. Because if this disease occurs in one goat then it spreads rapidly among the other goats of Bard.
This is the identity of plague-smallpox in goats
Dr. Ibne Ali explains that the hallmark of goat plague is that the goat gets diarrhea. Pneumonia occurs and nose starts running. High fever occurs. Due to its prevalence in older goats, this disease starts spreading among children also. Similarly, when a goat gets smallpox, it gets pneumonia and starts having high fever. The goat stops eating fodder. Moreover, children also reduce their milk intake.
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If goats get plague or smallpox then take these measures
Dr. Ibne Ali says that the biggest solution for goat plague and small pox is that we keep vaccinating goats against plague and small pox as per the plan. Because the cost of getting vaccinated is very nominal and it is even given for free at government centres. However, if goats contract this disease, a lot of money is spent on its treatment. Also, one important step should be taken that if the goat gets plague or small pox, then immediately separate it from other goats.