Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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दिवाली का पर्व और स्वास्थ्य पर प्रभाव: दीवाली के अवसर पर पटाखों के इस्तेमाल से निकलने वाले विषैले गैसों जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, और मोनो ऑक्साइड के कारण जानवरों और पक्षियों को श्वसन संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
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गर्भवती जानवरों पर असर: जानवरों के लिए पटाखों के तीव्र ध्वनि स्तर के कारण गर्भवती जानवरों में गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
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पालतू जानवरों में भय: पालतू कुत्ते पटाखों की आवाज़ से भयभीत होते हैं और एकांत स्थान की तलाश करते हैं, जबकि दूध देने वाले जानवरों का दूध उत्पादन कम हो जाता है और वे आक्रामक हो जाते हैं।
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वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI): दीवाली से पहले, लखनऊ जैसे क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार पहुंच गया है, जिससे खुली हवा में साँस लेना मुश्किल हो गया है। पटाखों के चलते वायु गुणवत्ता और भी खराब हो सकती है।
- सुरक्षा सलाह: वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने सलाह दी है कि पटाखे ऐसे स्थान पर फोड़ें जहां पालतू जानवर न हों और सुरक्षा के लिए पानी की बाल्टी भी रखनी चाहिए।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
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Health Risks to Animals: Fireworks used during Diwali release toxic gases such as sulfur dioxide and carbon monoxide, leading to respiratory diseases in animals and birds. There is also a significant risk of abortion in pregnant animals due to exposure to these harmful emissions.
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Impact on Animal Behavior: The loud noise from firecrackers, which can reach 140-150 decibels, causes various stress-related issues in animals. Milch animals experience reduced milk yield, while pet dogs often react with fear, seeking refuge from the loud sounds.
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Birds and Fireworks: Birds are particularly vulnerable during Diwali celebrations, as loud firecracker noises can be fatal, often causing them to die in their nests due to the overwhelming sound.
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Air Quality Concerns: The celebration of Diwali significantly impacts air quality, with reports indicating that the Air Quality Index (AQI) in areas like Lucknow has surpassed 300, making it difficult to breathe. The use of firecrackers during the festival further exacerbates this issue.
- Precautionary Measures Recommended: Dr. Shashikant advises that firecrackers should be used responsibly—preferably in locations away from pets—and suggests keeping a bucket of water on hand to manage any incidents that may occur during the festivities.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
आज देशभर में दीवाली का त्यौहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार ख़ुशी और रोशनी का प्रतीक है। दीवाली पर लोग अपने घरों को दीपक और रोशनी से सजाते हैं। कई लोग इस त्यौहार को पटाखे फोड़कर मनाते हैं। इसी बीच, कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने पटाखों के कारण जानवरों और पक्षियों की सेहत पर पड़ने वाले असर पर एक सलाह जारी की है।
प्रेग्नेंट जानवरों में गर्भपात का खतरा
उन्होंने बताया कि दीवाली पर जो पटाखे फोडे जाते हैं, उनसे सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और मोनोऑक्साइड जैसी विषैला गैसें निकलती हैं। इन गैसों के कारण जानवर और पक्षियों को सांस संबंधी बीमारियाँ हो जाती हैं। डॉ. शशिकांत ने बताया कि इन पटाखों की आवाज़ लगभग 140 से 150 डेसिबल होती है, जो सामान्य लोगों के लिए भी बर्दाश्त करना मुश्किल है। इसके कारण कई तरह की बीमारियाँ होती हैं। इसके अलावा, प्रेग्नेंट जानवरों में गर्भपात का भी खतरा होता है।
पेट डॉग्स डर में रहते हैं
उन्होंने कहा कि दूध देने वाले जानवरों का दूध उत्पादन कम हो जाता है और वे आक्रामक हो जाते हैं। पालतू कुत्ते डर में रहते हैं और छिपने की जगह ढूंढते हैं। ये पटाखे पक्षियों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। कई पक्षी इन आवाज़ों को सुनकर अपने घोंसले में ही मर जाते हैं, जबकि पटाखों की आवाज़ 90 डेसिबल से कम होनी चाहिए, ताकि जानवरों और पक्षियों को नुकसान न हो। पशुपालन वैज्ञानिक ने सलाह दी कि ऐसे पटाखों का उपयोग करें जो कम आवाज़ में हों और पटाखे ऐसे स्थान पर फोड़ें जहाँ पालतू जानवर न हों। साथ ही, पटाखे फोड़ते समय कम से कम एक बाल्टी पानी रखना चाहिए, ताकि किसी भी घटना को रोका जा सके।
लखनऊ में AQI स्तर 300 के पार
आपको बता दें कि दीवाली से पहले, उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो गया। आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को लखनऊ के औद्योगिक क्षेत्र में AQI स्तर 300 को पार कर गया। दीवाली के दौरान वायु गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है, विशेषकर NCR के आस-पास के क्षेत्रों में, जहाँ पटाखों के कारण AQI पर असर पड़ता है।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
The festival of Diwali is being celebrated across the country today. This festival is a symbol of happiness and light. On Diwali, people decorate their houses with lamps and lights. Whereas many people enjoy this festival by bursting firecrackers. Meanwhile, Animal Husbandry Scientist Dr. Shashikant of Agricultural Science Center Dilip Nagar, operated under Chandrashekhar Azad University of Agriculture and Technology, Kanpur, has issued an advisory on the impact of fireworks on the health of animals and birds.
There is a strong possibility of pregnant animals having abortion.
He told that the firecrackers which are used on Diwali. Toxic gases like sulfur dioxide, carbon dioxide, mono dioxide come out from it. Due to which animals and birds get respiratory diseases due to these gases. Animal husbandry scientist Dr. Shashikant said that the intensity of these firecrackers is about 140 to 150 decimal, which is unbearable in the ears of common people. Due to which various types of diseases occur. Also, there is a strong possibility of pregnant animals having abortion.
pet dogs live in fear
He said that the milk yield of milch animals reduces and the animals become aggressive. Pet dogs live in fear and look for a secluded place. These firecrackers cause the most harm to birds. They die hearing these sounds in their nest itself, whereas the sound of firecrackers should be less than 90 decimals. Which does not cause harm to animals and birds. Animal husbandry scientist has advised that such firecrackers should be used and the firecrackers should be burst in a place where there are no pets. Also, keep at least a bucket of water with you while bursting crackers. So that any incident can be controlled before it happens.
AQI level crosses 300 in Lucknow
Let us tell you that just before Diwali, even breathing in open air became difficult in many districts of UP. According to the data, on Wednesday the AQI level crossed 300 in the industrial area of Lucknow, the capital of UP. Air quality may also be affected during Diwali, especially in areas around NCR, where firecrackers impact the AQI.