Chepua fish of Gandak river of Kushinagar is unmatched in taste and nutritional value like Hilsa. | (कुशीनगर की गंडक नदी का चिपुआ मछली, हिल्सा जैसी स्वादिष्ट!)

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Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)

Chepua Fish के मुख्य बिंदु:

  1. स्वास्थ्य के लाभ: Chepua मछली, जो उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और बिहार के चंपारण में गंडक नदी में पाई जाती है, को उच्च पोषण मूल्य के कारण स्वास्थ्य का खजाना माना जाता है। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड, प्रोटीन, जिंक, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की प्रचुरता होती है, जो इसे बहुत फायदेमंद बनाते हैं।

  2. स्थानीय अर्थव्यवस्था: Chepua मछली की मांग में वृद्धि के कारण, यह स्थानीय व्यापार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। कुशीनगर के पानीयावां क्षेत्र में इसे विशेष रूप से ताजे मसालों के साथ पकाया जाता है, और यहाँ पर धाबे तेजी से बढ़ रहे हैं।

  3. उत्पादन और प्रजनन प्रयास: Chepua मछली के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रजनन केंद्र की आवश्यकता है। इसके साथ ही, वैज्ञानिक इसे अन्य स्थानों पर विकसित करने के लिए भी शोध कर रहे हैं ताकि इसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो सके।

  4. भविष्य की संभावनाएँ: Chepua मछली की बढ़ती मांग स्थानीय मछुआरों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करती है और यह नदी की पारिस्थितिकी के लिए भी महत्वपूर्ण है। भविष्य में, इसके उत्पादन में वृद्धि से यह वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण खाद्य विकल्प बन सकता है।

  5. पारंपरिक पकाने की विधियाँ: Chepua मछली को स्थानीय लोग पारंपरिक विधियों से पकाते हैं, जैसे कि तलने, करी बनाने या ग्रिल करने में। इसकी विभिन्न प्रकार की पकाने की विधियों से इसका स्वाद अलग-अलग होता है, जिससे यह खाने वालों के बीच लोकप्रिय बन जाती है।

Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)

Here are the main points regarding Chepua fish:

  1. Nutritional Value and Price: Chepua fish, found in specific regions of India and Nepal, has gained recognition for its high nutritional content, including Omega-3 fatty acids, protein, and essential minerals. Its price has risen to Rs 480 per kg due to increasing demand and health benefits.

  2. Local Significance: Known scientifically as Aspidoporam morra, Chepua fish is a vital part of local economies in Kushinagar (Uttar Pradesh) and Champaran (Bihar). It is traditionally cooked in various styles, often enjoyed with fresh spices at local dhabas (roadside eateries), leading to a rise in local trade and tourism.

  3. Breeding and Research Initiatives: Research efforts, including studies by the American Food Society, are underway to establish breeding centers to increase production. There are plans to expand breeding efforts into other areas, which could enhance local employment opportunities and ensure the sustainability of Chepua fish populations.

  4. Culinary Appeal: The fish’s unique flavor and preparation methods have made it a delicacy that draws people from afar, especially in the Paniyawan area where it is commonly served. The fish’s culinary versatility contributes to its growing popularity.

  5. Future Prospects: With ongoing research and potential for wider cultivation, Chepua fish is expected to expand its presence in both the national and international markets. This could bolster the regional economy and provide additional livelihoods for local fishermen while promoting biodiversity in river ecosystems.


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Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)

चेपुआ मछली, जो यूपी के कुशीनगर और बिहार के चंपारण में गांधी नदी में पाई जाती है, अब सेहत का खजाना मानी जाती है। यह मछली केवल नारायणी नदी में पाई जाती है, जो भारत और नेपाल में गांधी नदी की एक शाखा है, और खाने के शौकीनों के लिए यह एक स्वादिष्ट व्यंजन है। इसे खासतौर पर भुजा के साथ खाया जाता है, जिससे खाने का अनुभव और भी खास हो जाता है। इसकी पोषण मूल्य और खासियत के कारण, इसकी कीमत अब 480 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। पहले यह मछली केवल स्थानीय बाजारों में मिलती थी, लेकिन अब इसके स्वास्थ्य लाभों की वजह से लोग इसे खरीदने के लिए दूर-दूर से आकर्षित हो रहे हैं।

चेपुआ मछली में पोषक तत्व

चेपुआ मछली के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक ब्रीडिंग सेंटर की जरूरत है, ताकि चेपुआ मछली के बीजों से अधिक उत्पादन किया जा सके। अमेरिकी फूड सोसाइटी ने 2015 में एक शोध शुरू किया, जिसका उद्देश्य चेपुआ मछली के पोषण मूल्य को साबित करना था। यह अध्ययन लगभग दो साल तक चला और मार्च 2023 में “जर्नल ऑफ जेनरल फूड्स” में प्रकाशित हुआ। इस अध्ययन में पुष्टि की गई कि चेपुआ मछली में ओमेगा-3 की प्रचुर मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा, इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड के साथ-साथ प्रोटीन, जिंक, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम जैसे अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी भरपूर होते हैं। इस मछली का पोषण मूल्य हिंस और सैल्मन मछली के समान है।

चेपुआ मछली का स्थानीय महत्व

चेपुआ मछली का वैज्ञानिक नाम Aspidoporam morra है और यह केवल नारायणी और गांधी नदियों में पाई जाती है। यह मछली नेपाल के नवलपरासी से कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) और बिहार के गांधी नदी में छह स्थानों पर उपलब्ध है। यह मछली कुशीनगर के पानीया गांव में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है, और यहाँ के ढाबों में इसे ताजे मसालों के साथ विशेष रूप से पकाया जाता है। आजकल पानीया में चेपुआ मछली से जुड़े ढाबों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और यह मछली यहाँ के स्थानीय व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है।

चेपुआ मछली को स्थानीय लोग पारंपरिक विधियों से पकाते हैं। इसे आमतौर पर तला हुआ, करी या ग्रिल किया जाता है। हर विधि में इसका स्वाद अलग होता है। गांधी नदी के किनारे स्थित गाँवों में, मछली के साथ कुछ खास मसाले मिलाए जाते हैं, जो इसके स्वाद को और बढ़ा देते हैं।

मछली प्रजनन और भविष्य

इस मछली की पहचान स्थापित करने के लिए, पानीया और कुशीनगर के आसपास के क्षेत्रों में इसे उत्पादन और बीज आपूर्ति का एक बड़ा केंद्र बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक इस दिशा में अनुसंधान कर रहे हैं कि चेपुआ मछली को अन्य स्थानों पर भी विकसित किया जा सके, ताकि इसके उत्पादन में वृद्धि हो सके। बृहत्तर चंपारण (बिहार) में इस मछली के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रजनन की योजना भी बनाई जा रही है। यदि इस दिशा में काम किया जाए तो इस मछली के व्यवसाय से रोजगार के अवसर में काफी वृद्धि हो सकती है।

चेपुआ मछली को वैश्विक स्तर पर नई पहचान बनाने का अवसर मिल सकता है। गांधी नदी में पाई जाने वाली चेपुआ मछली न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी आवश्यक है। मछली पालन का व्यवसाय हजारों परिवारों के जीवनयापन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मछली की बढ़ती मांग स्थानीय मछुआरों को रोजगार देती है और नदी की जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करती है।

ढाबों पर चेपुआ मछली का स्वाद

लोग दूर-दूर से इस मछली का स्वाद लेने के लिए पानीया के ढाबों पर आते हैं। सरसों के तेल में पैन पर तली हुई इस मछली का स्वाद चटपटा और कुरकुरा होता है। गांधी नदी की चेपुआ मछली न केवल स्वाद में अद्भुत है, बल्कि यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी एक बेहतरीन विकल्प है। इसके पोषण मूल्य और वैश्विक रुचि को देखते हुए, यह भविष्य में एक महत्वपूर्ण खाद्य सामग्री बन सकती है।

चेपुआ मछली के उत्पादन और प्रजनन पर हो रहे अनुसंधान से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में यह मछली व्यापक स्तर पर उपलब्ध होगी, और यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। वर्तमान में, स्थानीय मछुआरे इसे अपनी पारंपरिक विधियों से पकड़ते हैं और व्यापार करते हैं।

चेपुआ मछली का भविष्य

चेपुआ मछली के उत्पादन और प्रजनन पर हो रहे अनुसंधान के कारण, यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में यह मछली व्यापक स्तर पर उपलब्ध होगी। इसके उत्पादन में वृद्धि न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत बन सकती है। चेपुआ मछली के उत्पादन में वृद्धि से यह मछली भारतीय बाजार के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी अपनी जगह बना सकती है। इसके पोषण मूल्य और स्वाद के कारण, यह दुनिया के चारों ओर एक नया खाद्य विकल्प बन सकती है।


Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)

Chepua fish, found in Kushinagar in Uttar Pradesh and Gandak river in Champaran in Bihar, is now considered a treasure of health. This fish is found only in the Narayani River, a branch of the Gandak River in India and Nepal and is no less than a delicious dish for the foodies. It is especially eaten with Bhuja, which makes the eating experience even more special. Due to its nutritional value and specialty, its price has now reached Rs 480 per kg. Earlier this fish was available only in local markets, but now due to its health benefits, people from far and wide are being attracted to buy it.

Nutrients in Chepua Fish

To increase the production of this fish, there is a need for a breeding center, so that more production can be done from Chepua fish seeds. The American Food Society started a research in 2015, the purpose of which was to prove the nutritional value of Chepua fish. This study lasted for almost two years and was published in the American journal “General Foods” in March 2023. In this study, it was confirmed that Chepua fish contains abundant amount of Omega-3, which is very beneficial for health. Apart from this, Omega-3 and Omega-6 fatty acids as well as other important nutrients like protein, zinc, magnesium, calcium, iron and potassium are also found in abundance in this fish. The nutritional value of this fish is similar to that of Hilsa and Salmon fishes.

Local importance of Chepua fish

The scientific name of Chepua fish is Aspidoporam morra and it is found only in Narayani and Gandak rivers. This fish is available only at six places from Nawalparasi in Nepal to Kushinagar in Uttar Pradesh and Gandak river in Bihar. This fish is found in abundance in the Paniyawan area of ​​Kushinagar, and in the dhabas here it is specially cooked with fresh spices. Today, the number of dhabas related to Chepua fish is continuously increasing in Paniyawan, and this fish has become an important part of the local trade here.

Chepua fish is usually cooked by the local people in their traditional methods. It is usually eaten fried, curry or grilled. Its taste is different in every method. In the villages situated on the banks of river Gandak, some special spices are mixed with fish, which enhances its taste even more.

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Fish breeding and future

To establish the identity of this fish, efforts are being made to make it a big center of production and seed supply in Paniyawan and surrounding areas of Kushinagar. Scientists are doing research in such a direction that Chepua fish can be developed in other places also, so that its production can increase. Breeding is also being planned in West Champaran (Bihar) to boost the production of this fish. If work is done in this direction, the employment potential from this fish business can increase significantly.

Chepua fish can create a new identity across the world. Chepua fish found in Gandak River is not only important for the local economy but is also essential for the ecosystem of the river. Fish farming business is an important part of the livelihood of thousands of families. Increasing demand for this fish provides employment to local fishermen and also helps in maintaining the biological diversity of the river.

Taste of Chepua fish at dhabas

People come from far and wide to taste this fish, especially at the dhaba in Paniyawan. The taste of this fish fried on a pan in mustard oil is spicy and crispy. Chepua fish of Gandak river is not only wonderful in taste, but is also an excellent option from health point of view. Considering its nutritional value and global interest, this fish may become an important food item in the future.

From the research being done on the production and breeding of Chepua fish, it is hoped that in the future this fish will be available on a wider scale, and it will also make an important contribution to the regional economy. Currently, local fishermen catch it using their traditional methods and trade it.

The way forward for Chepua fish

Due to the research being done on production and breeding of Chepua fish, it is expected that in future this fish will be available on a wide scale. Increasing its production will not only boost the local economy, but it can also become an important source of income for the entire region. With the increase in the production of Chepua fish, this fish can make its place in the international market besides the Indian market. Due to its nutritional value and palatability, this fish may become a new dietary option around the world.



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