Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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मंडी कर और कृषक कल्याण उपकर हटाने की मांग: राजस्थान में खाद्य उत्पाद व्यापारियों ने राज्य सरकार से मंडी कर और कृषक कल्याण उपकर को 15 नवंबर तक हटाने की मांग की है। यदि सरकार यह नहीं करती है, तो व्यापारियों ने राज्यव्यापी विरोध की चेतावनी दी है।
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पड़ोसी राज्यों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में बाधा: मिल मालिकों का कहना है कि उनके व्यवसाय को गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में कर में छूट मिलने के कारण नुकसान हो रहा है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा में कमी आई है।
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राज्यव्यापी बैठक का आयोजन: व्यापारियों की एक बैठक 15 नवंबर को आयोजित की जाएगी, जिसमें यदि कर समाप्त नहीं हुए, तो आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री तक पहुँचाने का आश्वासन दिया है।
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राज्य द्वारा कर की दरें: राजस्थान में 1.60% मंडी कर और 0.5% कृषक कल्याण उपकर है, जबकि पड़ोसी राज्यों में ऐसे कर या तो नहीं हैं या बहुत कम हैं।
- बाजरे के समर्थन मूल्य में वृद्धि: कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने बताया कि बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले 10 वर्षों में दोगुना होकर 2,600 रुपये हो गया है, जिससे राजस्थान के किसानों को फायदा हुआ है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the article regarding the demands of food product traders in Rajasthan:
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Deadline for Tax Removal: Food product traders in Rajasthan have given the state government a deadline of November 15 to remove the mandi tax and the Krishak Kalyan Cess. Failure to do so will lead to statewide protests by mill owners.
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Competitive Disadvantage: Mill owners argue that they are facing losses due to higher tax rates compared to neighboring states like Gujarat and Uttar Pradesh, which have lower or no similar taxes.
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Action Plan Meeting: A meeting of traders is scheduled on November 15 to strategize a state-level movement if the government does not act on their demands regarding tax removal.
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Official Response: Deputy Chief Minister Prem Chand Baid, who attended the traders’ meeting, assured that he would communicate their concerns to the Chief Minister and work towards resolving the issues.
- Impact on Agricultural Pricing: The article mentions the increase in the minimum support price (MSP) for millet, which has doubled over ten years, benefiting farmers in Rajasthan. This juxtaposes the traders’ concerns regarding their economic challenges amid rising agricultural commodity prices.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
राजस्थान के खाद्य उत्पाद व्यापारियों ने राज्य सरकार को मंडी कर और कृषक कल्याण उपकर को समाप्त करने के लिए 15 नवंबर तक का समय दिया है। अगर सरकार इस समयसीमा के भीतर यह कर समाप्त नहीं करती है, तो दाल, तेल और आटा मिलों के मालिक statewide विरोध प्रदर्शन का निर्णय लेंगे। व्यापारियों का कहना है कि पड़ोसी राज्यों जैसे गुजरात और उत्तर प्रदेश में कर की छूट मिलने के कारण उन्हें व्यापार में नुकसान हो रहा है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार कर को समाप्त नहीं करती या कम नहीं करती, तो एक बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें राज्यव्यापी आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा ने व्यापारियों की समस्याओं को मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है। वर्तमान में राजस्थान राज्य 1.60% मंडी कर और 0.5% कृषक कल्याण उपकर वसूल करता है, जबकि अन्य पड़ोसी राज्यों में कर की दरें या तो नहीं हैं या बहुत कम हैं।
इसके अलावा, राजस्थान में बाजरे के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने बताया कि 2014-15 में बाजरे का MSP 1,250 रुपये था, जो 2024 में बढ़कर 2,625 रुपये हो गया है। इससे राज्य के किसानों को लाभ हुआ है।
राज्य की चीनी मिलें इस साल 15 नवंबर के बाद ही पेराई शुरू करेंगी। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इस देरी को विधानसभा चुनाव और गन्ने की कमी से जोड़ा है। राज्य को 102 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है, जो आंतरिक कमी को पूरा करने में मदद करेगी।
राजस्थान ने ‘हील इन राजस्थान’ नीति तैयार की है, जिसका उद्देश्य चिकित्सा मूल्य पर्यटन को बढ़ावा देना है। यह नीति स्वास्थ्य देखभाल और पर्यटन विशेषज्ञों के बीच सहयोग स्थापित करने पर केंद्रित है।
कुल मिलाकर, राजस्थान में खाद्य उत्पाद व्यापारियों की समस्याएँ, कृषि में मूल्य वृद्धि, चीनी उत्पादन की योजना और चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास, इस समय राज्य की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
On November 15, food product traders in Rajasthan have set a deadline for the state government to remove the market tax and agricultural welfare surcharge. Failure to do so will lead to a statewide protest by mill owners of lentils, oil, and flour. Mill owners involved in the processing of agricultural products argue that they are suffering losses due to higher taxes in Rajasthan compared to neighboring states like Gujarat and Uttar Pradesh, which offer tax exemptions or lower rates. Babulal Gupta, president of the Rajasthan Food Business Association, stated that if the government does not abolish or reduce these taxes, they will convene a meeting of traders across the state to strategize a statewide movement.
Deputy Chief Minister Prem Chand Baidwa expressed his commitment to inform the Chief Minister about the challenges faced by mill owners and assured that the issues will be addressed. Currently, Rajasthan collects a 1.60% market tax and a 0.5% agricultural welfare surcharge, whereas neighboring states have either no tax or significantly lower rates.
In a related development, the price of millet has seen a substantial increase due to government support, reaching a minimum support price (MSP) of ₹2,625 in 2024, a significant rise from ₹1,250 in 2014-15. This increase has benefited farmers in Rajasthan, the largest producer of millet in India.
Meanwhile, in Maharashtra, sugar mills are expected to begin operations only after November 15 due to a combination of assembly elections and limited sugarcane availability, as confirmed by Deputy Chief Minister Ajit Pawar. The state anticipates producing 10.2 million tons of sugar, with some of it earmarked for ethanol production to address domestic shortages.
Additionally, the Rajasthan government has introduced the ‘Heal in Rajasthan’ policy to promote medical tourism. This initiative aims to create a dedicated body of healthcare and tourism experts that will collaborate with private hospitals, manage international relations, and support tourists with medical visas. The objective is to leverage the state’s healthcare infrastructure and establish centers for both medical procedures and wellness tourism focused on Ayurvedic practices.
In a separate context, Quad leaders expressed concerns about security in Ukraine and Gaza during recent conflicts, urging nations to respect regional integrity and international law. They reaffirmed their support for a two-state solution in the Israel-Gaza conflict and condemned nuclear threats related to the Russia-Ukraine situation.
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