Rice Export Boost: Gov’t Slashes Taxes on Non-Basmati Rice! (सरकार ने गैर-बासमती चावल निर्यात पर छूट दी, उबले का टैक्स 10% किया।)

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Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)

  1. निर्यात शुल्क में छूट: सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल को निर्यात शुल्क से छूट दे दी है, जिससे किसानों को फायदा होगा।

  2. उबले चावल पर लेवी में कमी: उबले चावल पर निर्यात लेवी को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पहले 20 प्रतिशत थी।

  3. भूसी चावल पर भी शुल्क में कटौती: भूसी (भूरा चावल) और भूसी वाले चावल (धान या मोटा) पर निर्यात शुल्क भी 10 प्रतिशत कर दिया गया है।

  4. बासमती चावल से संबंधित निर्णय: हाल ही में बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य को हटाने के एक पखवाड़े के भीतर ये शुल्क में कटौती की गई है।

  5. प्रभावी तिथि: ये शुल्क परिवर्तन 27 सितंबर, 2024 से प्रभावी होंगे, जिसका उद्देश्य आउटबाउंड शिपमेंट को बढ़ावा देना और किसानों की आय को बढ़ाना है।

Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)

Here are the main points from the provided text:

1. The government has exempted non-basmati white rice from export duties, while reducing the levy on boiled rice to 10 percent.

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2. This duty reduction comes within a week of the government’s removal of the minimum export price for basmati rice.

3. The notification released late Friday states that the export duties on husked (brown rice) and husked rice varieties (paddy or coarse rice) have also been reduced to 10 percent.

4. Previously, the export duty on these rice varieties, including non-basmati white rice, was set at 20 percent.

5. These changes in export duties will take effect from September 27, 2024, and are aimed at promoting outbound shipments and increasing farmers’ incomes.


Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)

हाल ही में भारतीय सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जो चावल के निर्यात से जुड़े हैं। गैर-बासमती सफेद चावल को निर्यात से छूट दे दी गई है, जबकि उबले चावल पर निर्यात शुल्क को 10 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। यह कदम बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त करने के एक हफ्ते के भीतर आया है।

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इस संदर्भ में, वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग ने शुक्रवार रात एक अधिसूचना जारी की। इसमें बताया गया कि भूसी (भूरा चावल) और भूसी वाले चावल (धान या मोटा) पर भी निर्यात शुल्क को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले इन चावल की किस्मों पर निर्यात शुल्क 20 प्रतिशत था। अब से, ये शुल्क 27 सितंबर, 2024 से प्रभावी होंगे।

इससे पहले, सरकार ने इस महीने की शुरुआत में किसानों की आय को बढ़ावा देने और आउटबाउंड शिपमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया था। इस निर्णय से चावल का निर्यात करने वाले किसानों और व्यापारियों को लाभ प्रतीत होता है।

इस तरह के कदमों का उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को सशक्त करना और किसानों की स्थिति को बेहतर बनाना है, ताकि वे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें और उनकी आय बढ़ सके। यह नीति, खासकर बासमती चावल के निर्यात को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

सरकार के इन प्रयासों का प्रभाव न केवल किसानों पर पड़ेगा, बल्कि यह घरेलू चावल उद्योग के विकास को भी प्रभावित करेगा।

अंत में, यह कहा जा सकता है कि इन निर्यात नीति में किए गए बदलाव भारतीय किसानों को वैश्विक बाजार में अधिक अवसर प्रदान करेंगे और उनकी आमदनी में सुधार के लिए एक स्थायी रास्ता तैयार करेंगे।


Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)

The government has exempted non-basmati white rice from export duty, while the levy on boiled rice has been reduced to 10%. This reduction in duty follows the removal of the minimum export price for basmati rice, which occurred just a week earlier.

In a notification released late Friday night, the Revenue Department under the Finance Ministry announced that export duties on husked (brown rice) and husked rice (paddy or coarse rice) have also been reduced to 10%. Previously, the export duty on these varieties, along with non-basmati white rice, stood at 20%.

The notification stated that these changes in duty will be effective from September 27, 2024. Earlier in the month, the government eliminated the minimum export price for basmati rice in an effort to boost outbound shipments and increase farmers’ income.



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