Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
यहां पर दिए गए लेख के मुख्य बिंदुओं का सारांश हिंदी में प्रस्तुत किया गया है:
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कृषि और प्रदूषण का मुद्दा: किसानों को धान की कटाई के बाद खेतों में बचे हुए तने (स्टबल) का प्रबंधन करना एक बड़ी चुनौती है। कई किसान इस समस्या का समाधान जलाने में देखते हैं, जिससे प्रदूषण स्तर में वृद्धि होती है।
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ग्यानेश तिवारी का उदाहरण: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के नविपुर गांव के युवा किसान ग्यानेश तिवारी ने स्टबल प्रबंधन के माध्यम से हर साल 7-8 लाख रुपये की आय अर्जित की है। वह गोबर और earthworms से वर्मी कंपोस्ट बनाकर बेचते हैं।
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स्टबल के फायदे: ग्यानेश ने बताया कि स्टबल के उचित प्रबंधन से न केवल आय बढ़ती है, बल्कि खेतों की उर्वरता में भी सुधार होता है। स्टबल जलाने से मिट्टी की कोईटाणु मर जाते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।
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भूमि की उर्वरता में वृद्धि: ग्यानेश ने किसानों से अपील की है कि वे बची हुई धान की पैदावार (स्टबल) को मिट्टी में मिलाएं, जिससे मिट्टी की उर्वरता और आर्द्रता दोनों बढ़ती हैं।
- वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया: ग्यानेश ने बताया कि स्टबल को कवर करके वर्मी कंपोस्ट तैयार की जाती है, जिससे मिट्टी के लिए पोषक तत्व बढ़ जाते हैं। इसके अलावा, पुसा डिकंपोजर कैप्सूल का उपयोग कर स्टबल को जल्दी सड़ाया जा सकता है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are 5 main points from the passage:
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Stubble Management as an Income Source: Young farmer Gyanesh Tiwari from Navipur village has found a profitable way to manage stubble, earning Rs 7-8 lakh annually by collecting and utilizing it for manure production and animal fodder.
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Negative Effects of Burning Stubble: Burning stubble significantly contributes to pollution, harms soil health, destroys beneficial microorganisms, and makes land barren, leading to negative long-term consequences for agriculture and human health.
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Vermi Composting Benefits: Tiwari utilizes stubble to enhance his vermi composting process, which increases the organic content of the compost. This method, combined with nitrogen application, can turn stubble into nutrient-rich manure within a week.
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Soil Fertility and Conservation: Mixing paddy straw into the soil improves its fertility and works as mulch, conserving moisture and protecting soil health. Tiwari encourages fellow farmers to adopt this practice.
- Sales and Financial Impact: Gyanesh Tiwari’s innovative approach allows him to not only generate income through the sale of vermi compost and earthworms but also positions stubble as a valuable agricultural resource rather than waste. He reported annual earnings of around Rs 20 to 21 lakh.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
किसान फसल काटने के बाद खेतों में बची हुई धान की पराली की समस्या का सामना करते हैं। ऐसे में कई किसान अपनी फसलों के बचे हुए हिस्से को जला देते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इस बीच, उत्तर प्रदेश के शाहजहानपुर के नविपुर गांव के युवा किसान ज्ञानेश तिवारी पराली से सालाना 7-8 लाख रुपये कमा रहे हैं। इंडिया टुडे के किसानों के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि पराली प्रबंधन के माध्यम से वह अपने खेत में बड़ी मात्रा में पराली एकत्र कर रहे हैं। दरअसल, हम गाय के गोबर और कीड़ों से वर्मीकम्पोस्ट तैयार कर बेचते हैं। उन्होंने बताया कि वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए हमें प्लेटफार्मिंग करनी होती है, जिसके लिए हम पराली का उपयोग करते हैं और इसको चारा के रूप में जानवरों को भी देते हैं। इस प्रक्रिया से हमें सालाना 7-8 लाख रुपये का सीधा लाभ हो रहा है।
पराली जलाने के कई दुष्प्रभाव
B.Ed पास युवा किसान ज्ञानेश तिवारी ने आगे बताया कि एक ओर पराली प्रबंधन से आय होती है, दूसरी ओर इससे वायु प्रदूषण में कमी आती है। पराली जलाना हमारी भूमि और पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है। पराली जलाने के कई दुष्प्रभाव होते हैं, जो न सिर्फ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं बल्कि मानव स्वास्थ्य और कृषि पर भी नकारात्मक असर डालते हैं। वहीं, भूमि बंजर होने लगती है। किसान ज्ञानेश का कहना है कि मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीव जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और फसल के अवशेषों को खाद में बदलते हैं, वे मर जाते हैं। पराली का हमारे खेतों में एक अन्य बहुत अच्छा उपयोग भी है।
उन्होंने बताया कि वर्मीकम्पोस्ट का गड्ढा पराली से ढका हुआ है, जिसे कीड़े धीरे-धीरे खा जाते हैं और इससे खाद का जैविक भाग बढ़ता है। साथ ही, यदि हम नाइट्रोजन (जैसे यूरिया) का छिड़काव करते हैं, तो पराली को सिर्फ एक हफ्ते में खाद में बदला जा सकता है, जिससे अगले फसल के लिए मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ सकते हैं। अधिकतर किसान पराली जलाना सही मानते हैं, लेकिन इसमें मिट्टी और कृषि के लिए कई लाभकारी गुण होते हैं। पराली सिर्फ एक अवशेष नहीं है, बल्कि कृषि और मिट्टी के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
पराली का उपयोग इस तरह फायदेमंद है
ज्ञानेश तिवारी ने किसानों से अपील की कि वे बची हुई धान की पराली को मिट्टी में मिलाएं, इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। यह मल्च के रूप में भी काम करती है, जिससे मिट्टी से नमी का वाष्पीकरण कम होता है। मिट्टी में नमी सुरक्षित रहती है। धान की पराली को सडऩे के लिए प्रति हेक्टेयर 4 पुसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग किया जा सकता है। बता दें कि ज्ञानेश तिवारी, नविपुर गांव के निवासी, वर्मी कम्पोस्ट और कीड़े बेचकर करीब 20 से 21 लाख रुपये सालाना कमाते हैं।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
Farmers face the problem of paddy harvesting and the stubble left in the fields after that. In such a situation, many farmers burn stubble in their own fields. Due to this the level of pollution increases significantly. Amidst all this, young farmer Gyanesh Tiwari, resident of Navipur village of Shahjahanpur, Uttar Pradesh, is earning Rs 7-8 lakh in a year from stubble. Till the farmers of India Today While talking to Gyanesh, he said that through stubble management, he is collecting a large amount of stubble on his farm. Actually, we make and sell vermi compost made from cow dung and earthworms. He told that to make manure from cow dung and earthworms, we have to do platforming, in such a situation we use straw, whereas we are giving green fodder to the animals by mixing straw like chaff. Due to this, we are getting direct savings of Rs 7-8 lakh in a year.
Many side effects of burning stubble
B.Ed pass young farmer Gyanesh Tiwari, resident of Navipur village of Shahjahanpur, further said that on one hand, you will get income from stubble management, on the other hand, you will get relief from air pollution. Burning stubble is very harmful for our land and environment. Because burning stubble has many side effects, which not only affect the environment but also have a negative impact on human health and agriculture. Whereas the land starts becoming rocky (barren). Farmer Gyanesh Tiwari says that the microorganisms in the soil which increase the fertility of the soil and convert crop residues into manure, die. It has another very good use on our farm.
He told that the vermi compost pit is covered with stubble, which is gradually eaten by earthworms and increases the organic content of the compost. At the same time, by spraying nitrogen (like urea), the stubble can be converted into manure in just a week, which will increase the nutrients in the soil for the next crop. Most of the farmers consider it right to burn stubble but it has many beneficial properties for soil and agriculture. Stubble is not just a residue, but it is an important resource for agriculture and soil.
Straw is beneficial in this way
Gyanesh Tiwari appealed to the farmers and said that they should mix the remaining paddy residue (straw) with the ground, this increases the fertility of the soil. It also works as mulch. Due to which transpiration of moisture from the soil is reduced. Moisture remains preserved in the soil. Pusa decomposer capsules can be used at the rate of 4 capsules per hectare to decompose paddy residue. Let us tell you that Gyanesh Tiwari, a resident of village Navipur of Shahjahanpur, earns about Rs 20 to 21 lakh a year by selling vermi compost and earthworms.