Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
यहां दिए गए लेख के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
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कीटनाशकों के उपयोग में रोकथाम: डॉ. प्रांजीब कुमार चक्रवर्ती के नेतृत्व में, भारत में कीटनाशकों के बड़े पैमाने पर ऑफ-लेबल उपयोग को रोकने का प्रयास सफल हो रहा है, जिससे 85% फसलों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
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अंतरराष्ट्रीय सहयोग: उनकी सफलता का मुख्य कारण विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और घरेलू अधिकारियों के साथ सहयोग और संवाद है, जिसमें आईसीएआर और अन्य विशेषज्ञों का महत्वपूर्ण योगदान शामिल है।
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नवीनतम विनियामक बदलाव: कृषि मंत्रालय ने कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा और अच्छे कृषि अभ्यास के बीच सामंजस्य स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे भारत की कृषि पद्धतियों में सुधार होगा।
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नए दृष्टिकोण का महत्व: डॉ. चक्रवर्ती का नया फसल-आधारित दृष्टिकोण छोटे फसलों की कीट-संबंधित क्षति को रोकने और उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है, जो कि भारत की व्यापक कृषि विविधता के लिए आवश्यक है।
- भविष्य की चुनौतियाँ: हालांकि उन्होंने महत्वपूर्ण उपलब्धियों हासिल की हैं, डॉ. चक्रवर्ती का कार्य अभी खत्म नहीं हुआ है; वे छोटे फसलों के लिए डेटा आवश्यकताओं को प्रोत्साहित करने और उद्योग के पंजीकरण में अधिक सहुलियत लाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the provided text:
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Campaign Against Off-Label Pesticide Use: Dr. Pranjib Kumar Chakraborty has made significant progress in stopping the extensive off-label use of pesticides in Indian crops, which affects over 85% of the crops in India. His efforts are intended to create a healthier agricultural environment and promote safer food production.
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International and Domestic Collaboration: Dr. Chakraborty’s success is attributed to extensive international cooperation with organizations such as IR4, and ongoing dialogue with domestic authorities including ICAR, CIBRC, and industry leaders. This collective effort aims to improve pesticide regulation in India.
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New Regulatory Framework: The Agriculture Ministry’s intention to harmonize maximum residue limits (MRL) and good agricultural practices (GAP) using a crop group-based approach indicates a significant regulatory shift. This approach is expected to fundamentally transform agricultural practices in India by ensuring the use of scientifically supported guidelines for biological efficacy and residue assessment.
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Focus on Minor Crop Uses: The strategy emphasizes improving crop protection and productivity by focusing on minor use programs that target pest-related losses in India’s diverse crop landscape. This is essential for the effective regulation of pesticides, particularly for over 85% of Indian crops which are categorized as minor crops.
- Continued Advocacy and Reform: Despite the successes achieved, Dr. Chakraborty remains committed to promoting data requirements for member crops to align with international regulations. His ongoing efforts seek to address the reluctance of the industry to register pesticides for minor crops due to high registration costs, advocating for country-specific approaches to define minor crops in the regulatory framework.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
डॉ. प्रांजीब कुमार चक्रवर्ती और उनकी टीम ने भारतीय फसलों पर कीटनाशकों के ऑफ-लेबल उपयोग को रोकने के लिए एक दशक तक निरंतर प्रयास किए हैं। उनके प्रयासों का नतीजा अब दिखाई दे रहा है, जिससे 85% फसलों पर प्रभाव पड़ा है। डॉ. चक्रवर्ती की यह पहल कृषि में एक स्वस्थ वातावरण और सुरक्षित खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्हें इस दिशा में सफलता आईआर4, पीएमसी, जीएमयूएफ, और CCPR जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग और भारत के विभिन्न घरेलू अधिकारियों के साथ निरंतर संवाद के माध्यम से मिली है। इस प्रक्रिया में उनके सहकर्मियों और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कृषि मंत्रालय ने कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) और अच्छे कृषि अभ्यास (जीएपी) के विनियमों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक फसल समूह-आधारित दृष्टिकोण अपनाने का निर्णय लिया है। इस मील का पत्थर भारतीय कृषि प्रथाओं में सुधार लाने की अपेक्षा रखता है, जहां जैव-प्रभावकारिता और अवशेष आकलन के वैज्ञानिक दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा।
डॉ. चक्रवर्ती ने इस बात पर भी जोर दिया है कि इस उपलब्धि के बावजूद उनका कार्य समाप्त नहीं हुआ है। वे अभी भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सदस्य फसलों के लिए डेटा आवश्यकताओं को प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहे हैं। बिना उचित प्रोत्साहन के, उद्योग छोटे फसलों पर कीटनाशकों के पंजीकरण में अनिच्छुक रह सकते हैं, क्योंकि पंजीकरण की लागत बहुत अधिक होती है।
भारत को अपने कृषि परिदृश्य में माइनर यूज प्रोग्राम को अनुकूलित करने की आवश्यकता है, जिसमें माइनर फसलों के लिए विशेष दृष्टिकोण की वकालत की जा रही है। डॉ. चक्रवर्ती आईसीआर और अमेरिकन मॉडल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिससे भारत के कीटनाशक उपयोग विनियमन को अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसार लाया जा सके।
डॉ. चक्रवर्ती की यह उपलब्धि उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण है और यह भारत के कृषि परिदृश्य पर स्थायी प्रभाव डालने में सहायता करेगी। उनका अभियान न केवल ऑफ-लेबल कीटनाशक उपयोग के खिलाफ है, बल्कि यह विज्ञान-समर्थित विनियमन और कृषि मानकों को सुधारने का भी प्रयास है।
हालांकि बहुत कुछ हासिल किया गया है, लेकिन डॉ. चक्रवर्ती और उनकी टीम की लड़ाई जारी है। वे उद्योगों को जोर देकर कहते हैं कि उन्हें फसल समूह-आधारित एमआरएल प्रणाली को अपनाना चाहिए, ताकि भारत की फसलों की सुरक्षा और उत्पादकता बढ़ाई जा सके।
डॉ. चक्रवर्ती की मेहनत और योगदान को व्यापक मान्यता मिली है, और यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारतीय कृषि को एक सुरक्षित और संतुलित दिशा में ले जा सकता है।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
Dr. Pranjib Kumar Chakravarty, along with experts such as Dr. Himanshu Pathak, has made significant strides in addressing the extensive off-label use of pesticides in Indian agriculture, which affects more than 85% of crops. After a decade of persistent efforts, the campaign led by Dr. Chakravarty is beginning to yield concrete results, marking a transformative shift in India’s pesticide regulation aimed at creating a healthier agricultural environment and ensuring safe food production.
His success stems from extensive international collaboration with organizations such as IR4, PMCU, GMUF, and CCPR, combined with continuous discussions with domestic authorities like ICAR, CIBRC, MOA, FSSAI, and industry leaders. Key collaborators, including Dr. KK Sharma, Dr. Vandana Tripathi, Dr. TP Rajendran, Dr. Dubey, Dr. Poonam Jasrotia, and Dr. Archana Tripathi from ICAR, as well as international experts like Dr. Dan Kunkel, Dr. Carlos, Dr. JP Singh, and Dr. Anna Gor, have played crucial roles in advancing this mission.
The Ministry of Agriculture has officially expressed its intention to harmonize Maximum Residue Limits (MRL) for pesticides with Good Agricultural Practices (GAP) regulations through a crop group-based approach. This initiative, launched by Dr. Chakravarty and his team, is expected to revolutionize agricultural practices in India, ensuring the use of scientifically supported bio-efficacy and residue assessment guidelines.
The new approach focuses on improving crop protection and productivity by concentrating on minor use programs, essential for preventing pest-related losses across India’s diverse crops. Over 85% of the 554 crops in India, including horticultural crops, plantation crops, herbs, and spices, are classified as minor crops. As such, data-driven incentives are crucial for effectively regulating pesticide usage.
Dr. Chakravarty emphasizes that while achieving these results is a significant milestone, the work is far from over. He remains committed to promoting data requirements for member crops that align with international standards. Without such incentives—including reductions in data requirements, extrapolation from global studies, and data bridging—the industry may be reluctant to register pesticides for minor crops due to high registration costs.
The models implemented by Codex and IR4, focusing on minor use programs, address the use of pesticides on minor crops and their implications for major crops. Dr. Chakravarty advocates for a country-specific approach to define minor crops, aiming to adapt these programs to fit India’s agricultural landscape. Through a potential Memorandum of Understanding (MoU) between ICAR and the Global Minor Use Foundation (GMUF, USA), India seeks to align its pesticide regulations with international best practices.
For Dr. Chakravarty, this achievement represents a lifetime accomplishment, providing him immense satisfaction and relief. The impact of his work will have lasting effects on the agricultural landscape of India, contributing to safe food production and a healthier environment. His campaign against off-label pesticide use highlights the importance of collaboration, science-supported regulation, and the commitment to improving agricultural standards in India. While much has been accomplished, Dr. Chakravarty’s fight for harmonious pesticide regulation continues, focusing on encouraging industries to adopt crop group-based MRL systems and enhance the safety and productivity of Indian crops.
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