“India’s Space Journey: From 1962 to AI-Powered Landings in 2024” (1962 से 2024: भारत की अंतरिक्ष यात्रा और एआई सफल लैंडिंग!)

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Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)

यहाँ दिए गए पाठ के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. इसरो और एसएमई का सहयोग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान में प्रगति की है, बल्कि उद्योग और सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का विकास भी किया है।

  2. IN-SPACe की स्थापना: 2020 में भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी संस्थाओं के लिए खोलने का निर्णय लिया और इसको सुविधाजनक बनाने के लिए IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) की स्थापना की गई।

  3. निवेश सुधार: IN-SPACe ने अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देते हुए नई नीतियों को लागू किया है, जिससे वाणिज्यिक जुड़ाव को बढ़ावा मिला है।

  4. स्वायत्तता और AI का उपयोग: भारतीय अंतरिक्ष मिशनों में एआई के एकीकरण पर जोर दिया जा रहा है, जो बेहतर स्वायत्त संचालन की दिशा में प्रगति को दर्शाता है।

  5. नवाचारों का समर्थन: IN-SPACe निजी प्रयासों को प्रोत्साहित करते हुए इसरो के संसाधनों तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे पारंपरिक अंतरिक्ष अनुसंधान दृष्टिकोण में बदलाव आया है और इसरो तथा निजी कंपनियों के बीच मजबूत सहयोग संभव हुआ है।

Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)

Here are the main points derived from the provided text:

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  1. Growth of Indian Space Sector: The Indian Space Research Organisation (ISRO) has made significant advancements in space exploration while promoting a thriving ecosystem for industries and MSMEs involved in the supply chain for launch vehicles and satellites, leading to transformative changes in India’s space landscape.

  2. Opening Private Participation: In 2020, the Indian government took a crucial step by opening the space sector to private entities, facilitated by the establishment of IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center), which operates as a single-window agency to ease private participation in space activities.

  3. Support for Private Enterprises: IN-SPACe plays a vital role in fostering the private space economy in India by acting as a facilitator, enabler, regulator, and supervisor while ensuring a conducive environment for private enterprises, allowing for 100% foreign direct investment in the sector.

  4. Technological Advancements: The agency has implemented policies leading to significant investment and the development of advanced technologies at a reduced cost, highlighting India’s competitive position in the global space market. It is also focusing on integrating AI for autonomous operations in upcoming space missions.

  5. Facilitating Innovation: IN-SPACe allows individuals and companies to actively engage in the space sector, exemplified by the launch of the world’s first 3D-printed rocket developed by a team from IIT Madras. This shift supports innovative initiatives and enhances collaboration between ISRO and private players, changing the traditional centralized approach of ISRO.


Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और निजी क्षेत्र की भागीदारी

हाल के वर्षों में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष अन्वेषण में उल्लेखनीय प्रगति की है, साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का एक पूरी तरह से विकसित पारिस्थितिकी तंत्र भी स्थापित किया है, जो लॉन्च वाहनों और उपग्रहों के निर्माण में सहयोग कर रहा है। इस समन्वय ने भारत के अंतरिक्ष परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना पैदा की है।

2020 का ऐतिहासिक निर्णय

2020 में, भारतीय केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी संस्थाओं के लिए खोलने का निर्णय लिया, जिसे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लागू किया गया। इस बदलाव को सुगम बनाने के लिए, सरकार ने IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) की स्थापना की, जो अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक स्वतंत्र एजेंसी है। IN-SPACe का उद्देश्य भारतीय निजी क्षेत्र के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करना है, ताकि वे दीर्घकालिक विकास और नवाचार में योगदान कर सकें।

IN-SPACe की भूमिका

IN-SPACe की स्थापना के बाद, विभिन्न नीतियों को लागू किया गया है जो अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देती हैं। IN-SPACe के निदेशक विनोद कुमार ने कहा कि, "हम एक प्रवर्तक, सक्षमकर्ता, लेखक और पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करते हैं," और इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं। कुछ क्षेत्रों में, जैसे कि उपग्रह निर्माण में कुछ सीमाएं बरकरार रखी गई हैं, लेकिन इसके बावजूद, वाणिज्यिक जुड़ाव के लिए कुल दिशा स्पष्ट है।

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नवाचार और लागत में कमी

IN-SPACe की प्रमुख उपलब्धियों में से एक उन्नत प्रौद्योगिकियों का विकास है, जिसने उपग्रह निर्माण की लागत को बेहद कम कर दिया है। इन प्रयासों ने न केवल भारत की क्षमताओं को उजागर किया है, बल्कि इसे वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में एक प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी बनाने की दिशा में भी मदद की है। इसके अलावा, आने वाले वर्ष में IN-SPACe विभिन्न विघटनकारी प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहा है, जैसे कि एआई को स्वायत्त संचालन में शामिल करना।

एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत 1962 में डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में हुई थी। आज, यह एआई की सहायता से स्वायत्त लैंडिंग पर काम कर रहा है, जिससे लॉन्च वाहनों को वास्तविक समय डेटा का विश्लेषण करने की क्षमता मिल रही है। सटीकता और सुरक्षा के लिए मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, छात्रों को परियोजनाओं में शामिल किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष मलबे के साथ संभावित टकराव की पहचान करना है।

डेटा परिदृश्य और नवाचार

कुमार ने उल्लेख किया कि विकसित डेटा परिदृश्य वैज्ञानिक जानकारी का खजाना प्रस्तुत करता है, और नवप्रवर्तकों को विभिन्न अनुप्रयोगों में एआई के जरिए इस डेटा का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कंपनियों की भागीदारी

IN-SPACe के अंतर्गत, कंपनियां पंजीकरण कर सकती हैं और विभिन्न अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग ले सकती हैं, जैसे कि लॉन्च वाहनों का विकास। इसका एक प्रमुख उदाहरण है IIT मद्रास द्वारा विकसित दुनिया का पहला 3D-मुद्रित रॉकेट। कुमार ने कहा, "यह सिर्फ शुरुआत है, निजी पहल के लिए हमारा समर्थन भारत में अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य को नया आकार दे रहा है।"

अंतर्दृष्टि और बदलाव

IN-SPACe निजी प्रयासों को बढ़ावा देने और इसरो की सुविधाओं तक पहुंच की सुविधा को नियंत्रित करते हुए एक महत्वपूर्ण नियामक भूमिका निभाता है। पिछले समय में, इसरो एक केंद्रीकृत दृष्टिकोण से काम करता था, लेकिन अब एक नया नियामक ढांचा तैयार किया गया है जो इसरो और निजी कंपनियों के बीच उत्कृष्ट संवाद को स्थापित करता है।

निष्कर्ष

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग ने एक नई दिशा प्रदान की है। IN-SPACe की स्थापना और नीतियों का लागू होना भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नए युग की शुरुआत करता है, जहां नवाचार, क्षमता, और विधियों में आधुनिकता के माध्यम से भारत एक महत्वपूर्ण वैश्विक स्थान पर पहुंच सकता है। इस प्रकार, इसरो और IN-SPACe का प्रयास भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को एक नई दिशा और पहचान देने में सहायक साबित होगा।


Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)

In recent years, the Indian Space Research Organization (ISRO) has made significant advancements in space exploration while fostering a thriving ecosystem of industries, particularly micro, small, and medium enterprises (MSMEs) that serve as supply chain partners for launch vehicles and satellites. This collaboration has paved the way for transformative changes in India’s space landscape.

A pivotal moment occurred in 2020 when the Central Cabinet, under the leadership of the Prime Minister, decided to open the space sector to Indian private entities. To facilitate this partnership, the government established IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center), an independent agency operating under the Department of Space (DOS), designed as a single-window solution.

According to Vinod Kumar, director of IN-SPACe, “IN-SPACe plays a critical role in promoting the private space economy in India. We act as a facilitator, enabler, authorizer, and regulator while ensuring a conducive environment for private enterprises.”

### AI and Space

Since its inception, IN-SPACe has implemented policies that include significant investment reforms, allowing up to 100% direct foreign investment in the space sector. Kumar points out that while certain areas, like satellite manufacturing, retain specific limitations for strategic reasons, the overall shift towards commercial engagement is clear.

One of the notable achievements has been the development of advanced technologies at modest costs. Kumar highlighted, “We have significantly reduced satellite manufacturing costs, showcasing our ability to achieve remarkable results with limited resources.”

This efficiency not only underscores India’s capabilities but also positions it as a competitive player in the global space market.

In the coming year, IN-SPACe aims to target various disruptive technologies. Traditionally, space missions relied on extensive guidance systems. However, there is now a strong emphasis on integrating artificial intelligence (AI) for better autonomous operations.

Kumar noted, “The Indian space program officially commenced in 1962 under the visionary leadership of Dr. Vikram Sarabhai, who established the International Committee for Space Research. Today, we are exploring AI for landing maneuvers, ensuring our vehicles can autonomously land by analyzing real-time data.”

Incorporating machine learning techniques to detect hazards in research and involving students in projects aimed at identifying potential collisions with space debris is also on the agenda.

Kumar added, “The evolving data landscape presents a treasure trove of scientific information. We encourage innovators to leverage this data using AI for insights across various applications, including agriculture and disaster management.”

### How it Works

Under IN-SPACe, individual companies can register and engage actively in the space sector, including the development of launch vehicles. A remarkable example is the recent launch of the world’s first 3D-printed rocket developed by a team from IIT Madras.

Kumar emphasized the significance of such innovations, stating, “This is just the beginning; our support for private initiatives is reshaping the future of space exploration in India.”

IN-SPACe provides a regulatory framework while promoting private efforts and facilitating access to ISRO facilities at modest costs. This approach has transformed the traditional dynamics, enabling robust collaboration between ISRO and private players.

Kumar explained, “In the past, ISRO operated with a centralized approach, but now we have established a regulatory framework that supports both ISRO and private companies.”

With these developments, India is on the brink of a new era in space exploration characterized by increased collaboration between public and private sectors, enhanced technological advancements, and a focus on sustainable growth within the space ecosystem. The strategic integration of AI and machine learning into space missions signifies an exciting shift, preparing India to take on greater challenges and opportunities in the ever-evolving realm of space research and exploration.

In summary, ISRO and IN-SPACe are key players in shaping the future of India’s space endeavors, integrating innovative technologies and fostering a supportive environment for private enterprises to flourish. This collaborative and regulatory framework is set to propel India to new heights in the global space arena, emphasizing the importance of innovation, efficiency, and strategic partnerships for future success.



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