Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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निर्यात शुल्क में कटौती और मांग: प्याज उत्पादकों और व्यापारियों ने केंद्र सरकार से 40% से 20% की गई निर्यात शुल्क को वापस लेने का आग्रह किया है, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बन सकें।
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अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: निर्यात प्रतिबंधों के कारण प्याज उत्पादक, विशेष रूप से महाराष्ट्र के किसान, आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं, जिससे उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।
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प्याज उत्पादन की स्थिति: भारतीय प्याज उत्पादन घरेलू और निर्यात दोनों मांगों के लिए पर्याप्त है, लेकिन अस्थिर निर्यात नीति के कारण निर्यात में कमी आई है और किसान कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
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दीर्घकालिक नीति की मांग: एसोसिएशन ने स्थिर प्याज निर्यात नीति की आवश्यकता पर बल दिया है, जो किसानों को वैश्विक बाजार में उचित मूल्य पर अपनी उपज बेचने की अनुमति दे।
- प्रतिस्पर्धा में कमी: निर्यातकों का कहना है कि भारत की स्थिति को सुधारने के लिए निर्यात शुल्क को पूरी तरह से हटाना आवश्यक है, अन्यथा उन्हें वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा में कठिनाई होगी।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the article regarding the onion exporters’ concerns:
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Request for Export Duty Removal: Onion producers and traders are urging the central government to revoke the 20% export duty imposed on onions. They are also calling for a stable and long-term export policy to address ongoing challenges in the sector.
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Impact of Export Restrictions: The Horticulture Produce Export Association highlighted that continuous export restrictions have severely disrupted the onion export market, leading to price volatility and farmers receiving inadequate compensation for their produce.
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Current Export Challenges: Although the government reduced the export duty from 40% to 20%, exporters argue that this rate still hampers their competitiveness in international markets, making it difficult to maintain operations and secure new buyers.
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Economic Struggles of Farmers: Farmers, especially in Maharashtra, are facing significant economic difficulties due to government restrictions, impacting their primary income source from onion cultivation. The unstable export policy is threatening their livelihoods.
- Need for Government Support: The association called on the government to not only remove the export duty but also to implement measures that would allow farmers to sell their produce at fair prices in global markets, thereby ensuring the sustainability of the onion export industry.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
प्याज उत्पादकों और व्यापारियों ने केंद्र सरकार से 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को वापस लेने और एक स्थिर प्याज निर्यात नीति लागू करने की मांग की है। हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्ट एसोसिएशन ने यह उल्लेख किया है कि सरकार द्वारा लगाए गए निरंतर निर्यात प्रतिबंधों ने प्याज निर्यात बाजार को गंभीर रूप से बाधित किया है, जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में उतार-चढ़ाव आया है और किसानों को उनकी उपज का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है।
हाल ही में, सरकार ने प्याज पर निर्यात शुल्क को 40 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया है, जो 4 मई से लागू है। हालांकि, निर्यातकों का दावा है कि यह दर भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित कर रही है, जिससे उनकी संचालन में कठिनाई आ रही है। भारत का प्याज उत्पादन घरेलू और निर्यात दोनों मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, तथापि सरकारी प्रतिबंधों के कारण किसानों और व्यापारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। विशेष रूप से महाराष्ट्र के किसानों पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा है, जहां प्याज खेती का प्रमुख आय स्रोत है।
इस संदर्भ में, एसोसिएशन ने सरकार से निर्यात शुल्क हटाने और एक दीर्घकालिक नीति बनाने की अपील की है, जिससे कि किसान अपनी उपज को वैश्विक बाजार में उचित मूल्य पर बेच सकें और प्याज निर्यात उद्योग की स्थिरता सुनिश्चित हो सके। एक निर्यातक ने बताया कि 20 प्रतिशत शुल्क में कमी का कोई दोष नहीं है और वर्तमान दर पर वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक नहीं हैं। केवल बांग्लादेश जैसे सीमित बाजार ही उनके लिए संभावित हैं, जहां राजनीतिक स्थिति के कारण प्याज की मांग में वृद्धि हुई है।
हालांकि, उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि निर्यात शुल्क हटा भी दिया जाए, तब भी महाराष्ट्र और कर्नाटक में नई फसल आने के बाद ही निर्यात फिर से प्रारंभ हो सकेगा। कृषि मंत्री के अनुमान के अनुसार इस साल बुआई पिछले साल की तुलना में दोगुनी है। पिछले साल वैश्विक फसल की कमी के कारण इस साल हर जगह प्रचुर आपूर्ति का सामना किया जा रहा है। निर्यात बाजार में भारत की स्थिति को सुधारना अब मुश्किल हो रहा है, जबकि पहले पाकिस्तान मुख्य प्रतिद्वंदी था, अब वे ईरान और अफगानिस्तान से भी प्याज आयात कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय खरीदार भारतीय निर्यातकों को विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता नहीं मानते हैं, जिससे उन्हें निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। वर्तमान में, नासिक में पुरानी फसल का स्टॉक मौजूद है जो निर्यात के लिए उपयुक्त नहीं है, जबकि कर्नाटक के किसान अपनी नई फसल के साथ अच्छे दाम पर बाजार का लाभ उठा रहे हैं। छोटे आकार के प्याज की अधिकतं आवक दक्षिणी क्षेत्रों से हो रही है, जबकि बड़े आकार के प्याज मध्य अक्टूबर के बाद आने की उम्मीद है।
इस प्रकार, प्याज उत्पादकों और व्यापारियों की चिंताएँ निर्यात नीति की अनिश्चितता और आर्थिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं। एक स्थिर और दीर्घकालिक निर्यात नीति और शुल्क में कमी से इस समस्या का समाधान संभव हो सकता है, जिससे किसान और उद्योग दोनों को लाभ मिलेगा।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
प्याज उत्पादकों और व्यापारियों ने सरकार से 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को वापस लेने और प्याज निर्यात के लिए स्थिर नीति लागू करने की अपील की है। हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्ट एसोसिएशन ने कहा है कि निरंतर सरकारी प्रतिबंधों ने प्याज निर्यात बाजार को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे मूल्य स्थिरता में कमी आई है और किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।
हाल ही में, सरकार ने प्याज पर निर्यात शुल्क कम करके 40 प्रतिशत से 20 प्रतिशत कर दिया है, लेकिन निर्यातकों ने शिकायत की है कि यह दरें अभी भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर रही हैं। प्याज निर्यातकों के अनुसार, भारत का उत्पादन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन सरकारी प्रतिबंधों के कारण आर्थिक नुकसान हो रहा है, विशेषकर महाराष्ट्र के किसानों को।
एंग्लो-भारतीय व्यापारियों ने कहा कि नए फसल की आवक के बाद ही निर्यात में सुधार की गुंजाइश है। वर्तमान में, निर्यातकों को केवल बांग्लादेश को निर्यात करने का अवसर मिल रहा है क्योंकि वहाँ का बाजार फिलहाल खाली है। दूसरी ओर, पाकिस्तान अपनी फसल समाप्त होने के बाद ईरान और अफगानिस्तान से प्याज आयात कर रहा है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
किसान नए फसल का लाभ उठा रहे हैं, जिसमें कर्नाटक के किसानों की उपज वर्तमान में ₹35 से ₹40 प्रति किलोग्राम के बीच बिक रही है। इसका सीधा प्रभाव प्याज की कीमतों पर पड़ रहा है। नासिक में पुरानी फसल उपलब्ध है, लेकिन वह निर्यात के लिए उपयुक्त नहीं मानी जा रही है।
इस तरह, प्याज निर्यात उद्योग को स्थिरता और उचित मूल्य निर्धारण के लिए सरकार के सक्रिय कदमों की आवश्यकता है। निर्यातकों का सुझाव है कि सरकार को प्रोत्साहन देने की दिशा में कार्य करना पड़ेगा, जिससे 2025 में संभावित अधिशेष का सामना किया जा सके।
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