Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
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सफलता की कहानी: पूर्व सैनिक राजेश यादव ने सेना से रिटायर होने के बाद कृषि को अपना पेशा चुना और इस क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की। वे आज लाखों रुपये कमा रहे हैं और अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
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नई कृषि तकनीकें: राजेश ने कटिहार के कृषी विज्ञान केंद्र से मदद लेने के बाद पारंपरिक फसलों जैसे धान और गेहूं से हॉगिकल फसलों की खेती की ओर रुख किया। उन्होंने रेड लेडी किस्म की पपीता उगाना शुरू किया।
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उच्च मुनाफा: राजेश यादव ने केवल 5 कट्ठा भूमि में पपीता की खेती शुरू की जिसमें उन्हें जबरदस्त लाभ हुआ। अब वे 1 एकड़ भूमि में पपीता उगा रहे हैं और उन्होंने 1.5 लाख रुपये की निवेश पर 10 लाख रुपये कमाए हैं।
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सरकारी सहायता: पूर्वी चंपारण के जिला बागवानी सहायक निदेशक के अनुसार, किसानों को पपीता खेती के लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। यह सब्सिडी किसानों को पहले वर्ष में 75% और दूसरे वर्ष में 25% के रूप में मिलती है।
- सामाजिक योगदान: राजेश ने अपनी सफल खेती से 20 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया है और उनके पास अन्य किसान भी पपीता की खेती में आगे बढ़ रहे हैं, जिससे उन्हें भविष्य में अच्छी कमाई की उम्मीद है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points from the success story of Rajesh Yadav, a retired soldier turned successful farmer from East Champaran, Bihar:
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Career Transition to Farming: After retiring from the army, Rajesh Yadav chose to pursue farming instead of seeking other employment, ultimately finding great success in this field.
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Modern Farming Techniques: With guidance from the Krishi Vigyan Kendra, Rajesh shifted from traditional crops like paddy and wheat to horticultural crops, specifically focusing on cultivating the Red Lady variety of papaya, which brought him significant profits.
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Successful Financial Returns: Starting with a small plot of 5 katthas, he scaled up to cultivating one acre of papaya, earning around Rs 10 lakh from an investment of just Rs 1.5 lakh, showcasing the profitability of his farming practices.
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Inspiration to Others: Rajesh’s success has inspired at least 20 other farmers in his locality to adopt papaya cultivation, creating a ripple effect of increased agricultural productivity.
- Utilization of Government Subsidies: Rajesh benefitted from a government subsidy program that covered a significant portion of the costs associated with papaya cultivation, allowing him to invest and scale his operations effectively while also providing employment to others.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
पूर्वी चंपारण, बिहार का एक सेवानिवृत्त सैनिक खेती में कमाल कर रहा है। सेना से रिटायर होने के बाद, इस सैनिक ने किसी अन्य काम को न चुनकर खेती को अपने पेशे के रूप में अपनाया और इसमें जबरदस्त सफलता हासिल की। आज वह खेती से लाखों रुपए कमा रहा है और अन्य किसानों को प्रेरित कर रहा है। आइए, इस किसान की सफलता की कहानी जानें। इस सफल किसान का नाम है राजेश यादव।
किसान राजेश ने पूर्वी चंपारण के पिपरा कोठी में कृषी विज्ञान केंद्र की मदद ली और खेती के नए तरीकों को सीखा। राजेश ने पारंपरिक फसलों जैसे धान और गेहूं की बजाय हाइफर फसलों, जैसे पपीते की खेती करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने कृषी विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लिया और अच्छी गुणवत्ता के बीज भी खरीदे। राजेश ने पारंपरिक फसलों को छोड़कर रेड लेडी किस्म के पपीते की खेती की। इसके बाद, उनके मेहनत का फल 10 महीने में मिलने लगा। आज वह पपीते का अच्छा मूल्य प्राप्त कर रहे हैं।
राजेश यादव की कहानी
किसान राजेश यादव बताते हैं कि वर्तमान में वह एक एकड़ में पपीते की खेती कर रहे हैं। बाकी के खेतों में धान और गेहूं की खेती की जाती है। उनका कहना है कि अगर कोई और 10 एकड़ में पपीता उगाए, तो भी वह उनके पपीते का मुकाबला नहीं कर सकता। बाकी फसलों को बेचने के लिए किसान को व्यापारी ढूंढना पड़ता है, लेकिन पपीते के लिए व्यापारी खुद उन्हें ढूँढते हैं। व्यापारी खुद ही खेत से पके फल ले जाते हैं।
किसान राजेश यादव ने 5 कट्ठा पपीते की खेती से शुरुआत की थी, जिससे उन्हें भारी मुनाफा हुआ। इस से होने वाली आय ने राजेश यादव का उत्साह इतना बढ़ा दिया कि उन्होंने 5 कट्ठा से एक एकड़ तक पपीते की खेती शुरू कर दी। आज, उनके खेतों में उन्नत किस्में के पपीते भरपूर फल-फूल रही हैं। राजेश कहते हैं कि उन्होंने पपीते की खेती में 1.5 लाख का निवेश करके 10 लाख रुपए कमाए हैं। उनकी खेती आज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है। राजेश के मार्गदर्शन में पिपरा कोठी गांव के आसपास के 20 किसानों ने भी पपीते की खेती शुरू की है।
सब्सिडी का लाभ
पूर्वी चंपारण जिला बागवानी के सहायक निदेशक, विकास कुमार ने ‘डीडी न्यूज़ बिहार’ को बताया कि किसानों को पपीते की खेती के लिए सब्सिडी दी जा रही है। पपीते की खेती की लागत 60 हजार रुपए है, जिसमें किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। सब्सिडी का प्रावधान दो वर्षों के लिए है। पहले वर्ष में किसान को खेती के खर्च का 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलता है और दूसरे वर्ष में 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।
राजेश यादव ने इस सब्सिडी का लाभ उठाकर पपीते की लाभदायक खेती की है। आज उनकी खेती ऐसी है कि उन्होंने इसमें 20 लोगों को रोजगार दिया है। इसके अलावा, कई किसानों ने पपीते की खेती में प्रगति की है, जिससे उन्हें भविष्य में अच्छी कमाई की उम्मीद है।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
A retired soldier from East Champaran in Bihar has done wonders in farming. After retiring from the army, this soldier did not do any other job but chose farming as his profession and achieved great success in it. Today he is earning lakhs of rupees from farming and is also inspiring other farmers. Let us know about the success story of this farmer. The name of this successful farmer of East Champaran is Rajesh Yadav.
Farmer Rajesh took help from Krishi Vigyan Kendra at Pipra Kothi in East Champaran and learned farming techniques. Farmer Rajesh shifted from cultivating traditional crops like paddy and wheat to horticultural crops like papaya. For this, along with taking training from Krishi Vigyan Kendra, he also bought good quality seeds. This farmer left traditional crops like paddy and wheat and cultivated Red Lady variety of papaya. After this, his hard work started bearing fruit in 10 months. Today they are getting good price for papaya.
Rajesh Yadav’s story
Farmer Rajesh Yadav says that currently he cultivates papaya in one acre. Paddy and wheat are cultivated in the remaining fields. They say that even if someone else cultivates papaya in 10 acres, it will not be able to compete with papaya. To sell the rest of the crops, the farmer has to find a trader, but for papaya it is the trader who finds the farmer. Traders take ripe fruits from the fields themselves.
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Farmer Rajesh Yadav started papaya cultivation by cultivating just 5 katthas in which he got huge profits. The income earned from this boosted the enthusiasm of Rajesh Yadav so much that he started growing papaya in one acre from 5 katthas. Today, improved varieties of papaya are flourishing in his fields. Rajesh says that he has earned Rs 10 lakh by investing Rs 1.5 lakh in papaya cultivation. His farming has become an inspiration for other farmers today. Following the footsteps of Rajesh, 20 farmers around Pipra Kothi village have taken up papaya cultivation.
benefited from subsidy
Assistant Director of East Champaran District Horticulture, Vikas Kumar told ‘DD News Bihar’ that farmers are being given subsidy for papaya cultivation. The cost of papaya cultivation is Rs 60 thousand in which 75 percent subsidy is given to the farmers. The provision of subsidy is for two years. In the first year, the farmer is given 75 percent subsidy of the cost of farming and in the second year, 25 percent subsidy is given.
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Taking advantage of this subsidy, Rajesh Yadav has done profitable cultivation of papaya. Today his farming is amazing that he has given employment to 20 people in it. Besides, many farmers have progressed in papaya cultivation, which has given them hope of good earnings in future.