Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)
यहाँ पर Furb तकनीक (FIRB – Furrow Irrigated Raised Bed System) पर आधारित कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:
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समय पर बुआई का महत्व: गेहूं और गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए समय पर बुआई करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि गन्ने की बुआई गेहूं की फसल की कटाई के बाद विलंबित होती है, तो गन्ने की पैदावार 35 से 50 प्रतिशत कम हो सकती है।
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Farb तकनीक के लाभ: इस तकनीक के माध्यम से, किसान एक ही समय में गेहूं और गन्ना दोनों फसलें उगाकर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे लागत की भी बचत होती है। इस प्रणाली में गेहूं पहले raised beds पर बोई जाती है और फिर गन्ना बोया जाता है।
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जल और संसाधन की बचत: Farb तकनीक पानी की खपत को कम करती है और बारिश के पानी को संचित करती है। Raised beds पर बेहतर जल निकासी के कारण फसलों को भारी बारिश से भी सुरक्षा मिलती है।
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उत्पादन में वृद्धि: जब गेहूं और गन्ना एक साथ उगाए जाते हैं, तो दोनों फसलों की उपज में वृद्धि होती है। इससे किसानों को अधिक फसल प्राप्त होती है।
- किसानों के अनुभव: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के किसान गुरु सेवक सिंह ने इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया है, जिससे उन्हें गेहूं की फसल से 17 क्विंटल और गन्ने से 60 टन पैदावार मिल रही है। इस तकनीक के लागू होने से न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि गन्ने की खेती की लागत भी कम हुई है।
Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)
Here are the main points regarding the benefits and workings of the Furrow Irrigated Raised Bed (FIRB) technology for farming wheat and sugarcane:
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Timely Sowing and Yield Improvement: Timely planting of both wheat and sugarcane using FIRB technology allows farmers to avoid delays, which can reduce sugarcane yields by 35-50%. This method enables the simultaneous cultivation of both crops, leading to higher overall yields.
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Water Conservation and Drainage: The FIRB system is designed to save water and improve drainage. Raised beds allow for better water management, protecting crops from potential damage due to heavy rains by facilitating effective drainage.
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Seed and Cost Efficiency: This technology helps to conserve resources, saving approximately 25% of seeds required—only 30-32 kg per acre are needed. Additionally, it reduces cultivation costs by about Rs 7-8 thousand in crop preparation.
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Increased Crop Production: By allowing for intercropping and effective irrigation management, the FIRB approach significantly boosts productivity—yielding 17 quintals per acre for wheat and 60 tonnes for sugarcane, as reported by farmers utilizing the technique.
- Real-Life Success Stories: Farmers like Guru Sevak Singh from Uttar Pradesh have successfully implemented this technique, experiencing enhanced yields and reduced costs, leading to increased income and profitability in their farming operations.
Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)
कृषि में समय पर बुवाई बहुत महत्वपूर्ण है। विशेषकर जो किसान गेहूं और गन्ना उगाते हैं, उन्हें अप्रैल में गेहूं की कटाई के बाद गन्ना लगाने में देर होती है, जिससे गन्ने की उपज 35 से 50 प्रतिशत तक कम हो सकती है। लेकिन अब फर्ब तकनीक (FIRB – फ़रो इरिगेटेड रेज़्ड बेड सिस्टम) के माध्यम से, दोनों गेहूं और गन्ना समय पर बोया जा सकता है, जिससे दोनों फसलों को एक साथ उगाया जा सकता है और बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इस तकनीक में पहले ऊँचे बंठे पर गेहूं बोया जाता है और फिर गन्ना।
यह प्रणाली पानी की बचत करती है और भारी बारिश से फसलों की रक्षा करती है, क्योंकि ऊँचाई पर बने बंठों में पानी की drainage बेहतर होती है। इसमें, खेत में बुवाई के लिए फ़रो इरिगेटेड रेज़्ड बेड प्लांट मशीन से बंठे बनाए जाते हैं। इसके बाद, नवंबर में पहले गेहूं बोया जाता है और फिर गन्ना बोया जाता है।
फर्ब तकनीक कैसे काम करती है?
फर्ब तकनीक के अंतर्गत, एक ट्रैक्टर-चालित ऊँचाई बनाने वाली मशीन का उपयोग किया जाता है, जो खेत में ऊँचे बंठे और नालियाँ बनाती है। फिर, इन बंटों पर 2-3 पंक्तियों में गेहूं बोया जाता है। बंटे पर बुवाई की गहराई 4-5 सेमी रखी जाती है, ताकि बीज अच्छी तरह से अंकुरित हो सकें। गेहूं के बाद गन्ना बोया जाता है, इसके लिए नालियों में हल्की सिंचाई की जाती है। जब नालियों में हल्का पानी हो जाता है, तब गन्ने के दो या तीन आंखों वाले टुकड़ों को डालकर पैरों से दबाया जाता है। गन्ना दिसंबर में गेहूं की बोई गई फसल के बीच में और फरवरी में खड़ी गेहूं की फसल की नालियों में बोया जाता है। गन्ने की बुवाई गेहूं की सिंचाई के साथ की जाती है, और गेहूं की सिंचाई शाम को की जाती है।
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फर्ब तकनीक के लाभ जानें
1. बीज की बचत: इस तकनीक से लगभग 25 प्रतिशत बीज की बचत होती है, जिससे एक एकड़ के लिए केवल 30-32 किलो बीज की जरूरत होती है।
2. पानी की बचत: यह तकनीक पानी का उपयोग कम करती है और बारिश के पानी को संचित करती है।
3. उत्पादन में वृद्धि: गेहूं और गन्ने को एक साथ बोने से दोनों फसलों की उपज में वृद्धि होती है।
4. लागत में कमी: इस तकनीक से फसल की तैयारी में 7-8 हजार रुपये की बचत होती है।
किसान इस तकनीक का लाभ उठा रहे हैं
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के किसान गुरु सेवक सिंह इस तकनीक का वर्षों से उपयोग कर रहे हैं। वह कहते हैं कि वह अपने 4 एकड़ क्षेत्र में गेहूं और गन्ना की इंटरक्रॉपिंग करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले गेहूँ की कटाई के बाद गन्ना लगाते समय देरी होती थी, जिससे गन्ने की उपज कम होती थी। लेकिन अब इस तकनीक से उन्हें गेहूं से 17 क्विंटल प्रति एकड़ और गन्ने से 60 टन उपज मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से न केवल उन्हें अतिरिक्त आय मिल रही है, बल्कि गन्ना उगाने की लागत भी घट रही है।
फर्ब तकनीक के माध्यम से गेहूं और गन्ने की एक साथ खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो रही है। यह विधि न केवल उपज बढ़ाती है, बल्कि लागत को भी घटाती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है।
Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)
Timely sowing is very important in farming. Especially the farmers cultivating wheat and sugarcane get delayed in planting sugarcane after harvesting the wheat in the month of April, due to which the sugarcane yield can be reduced by 35 to 50 percent. But now through Furb technology (FIRB – Furrow Irrigated Raised Bed System), both wheat and sugarcane can be sown on time, due to which both the crops can be grown together and bumper yields can be obtained while saving the cost. In this technique, wheat is sown first on raised beds and then sugarcane is sown.
This system saves water and also protects the crops from heavy rains, because drainage of water is better in raised beds. In this, beds are prepared in the field for sowing with Furrow Irrigated Raised Bed Plant Machine. After this, wheat is sown first in November and then sugarcane is sown.
How does the ferb technique work?
Under the Farb technology, a tractor-driven raised bed maker is used, which creates raised beds and drains in the field. Then, wheat is sown in 2-3 rows on these beds. The depth of sowing on the bed is kept at 4-5 cm, so that the seeds can germinate well. Sugarcane is sown after wheat, for this purpose light irrigation is done in the drain made. When there is light water in the drains, then by putting two or three eyed pieces of sugarcane and pressing them into the muddy drains with feet, the prepared sugarcane seedlings are planted by walking or using a big chip. Sugarcane is sown in the middle of the sown wheat crop in December, and in the furrows of the standing wheat crop in February. Sowing of sugarcane is done along with irrigation of wheat, and irrigation of wheat is done in the evening.
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Know the benefits of Ferb technique
1. Seed Saving: With this technique, about 25 percent seed is saved, due to which only 30-32 kg of seed is sufficient for one acre.
2. Water Saving: This technology reduces water usage and conserves rainwater.
3. Increase in Production: Sowing wheat and sugarcane together increases the yield of both the crops.
4. Cost Reduction: With this technique, Rs 7-8 thousand are saved in crop preparation.
Farmers are taking advantage of this technology
Guru Sevak Singh, a farmer from Lakhimpur district of Uttar Pradesh, has been using this technique for many years. He says that he does intercropping of wheat and sugarcane in his 4 acre area. He said that earlier there was a delay in sowing of sugarcane after harvesting of wheat, due to which the yield of sugarcane was reduced. But now with this technology they are getting 17 quintals per acre yield from wheat and 60 tonnes from sugarcane. He said that with this technology, not only are they getting additional income, but the cost required for sugarcane cultivation is also decreasing.
Cultivation of wheat and sugarcane together with the help of Farb technology is proving to be very beneficial for the farmers. This method not only increases the yield but also reduces the cost, thereby giving more profit to the farmers.