The farmer installed this indigenous jugaad in the rotavator, now wheat is sown easily among the stubble. | (किसान ने रोटावेटर में जुगाड़ लगाकर गेहूं की बुवाई आसान की।)

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Main Points In Hindi (मुख्य बातें – हिंदी में)

यहाँ पर "Desi Jugaad" के महत्व पर कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:

  1. कृषि में नवाचार: भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन उच्च तकनीकी उपकरणों की कमी के कारण किसान अपनी जरूरतों के अनुसार तकनीक विकसित करते हैं, जिसे "Desi Jugaad" कहा जाता है।

  2. हैप्पी सीडर मशीन: पंजाब के एक किसान ने "हैप्पी सीडर" मशीन को एक रोटावेटर में स्थापित किया, जो केवल 35,000 रुपये की लागत में उपलब्ध है। यह मशीन खेत में ठूंठ जलाने की आवश्यकता को समाप्त करती है और आसानी से गेहूं की बुआई करती है।

  3. उपयोगिता और लागत की बचत: इस हैप्पी सीडर मशीन से किसान बिना प्लॉइंग प्रथाओं के, ठूंठ के बीच में गेहूं की बुआई कर सकते हैं। इससे न केवल पानी का उपयोग कम होता है, बल्कि डीजल की खपत भी कम होती है।

  4. परंपरागत उपकरणों का संयोजन: हैप्पी सीडर मशीन में दो भाग होते हैं – शून्य जुताई ड्रिल और रोटर। किसान ने रोटावेटर का उपयोग करके एक स्थानीय जुगाड़ बनाया है, जिससे यह संयोजन संभव हुआ।

  5. खेत की देखभाल में सुविधा: इस डेज़ी जुगाड़ मशीन ने किसान के कई कार्यों को आसान बना दिया है और खेती की लागत को कम कर दिया है।

Main Points In English(मुख्य बातें – अंग्रेज़ी में)

Here are 5 main points about Desi Jugaad and the innovative farming technique described in the text:

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  1. Desi Jugaad in Agriculture: Desi Jugaad refers to the indigenous innovative solutions that farmers create to overcome challenges in agriculture, especially in the absence of high-tech equipment. This approach simplifies large tasks and has significant benefits for farmers.

  2. Introduction of Happy Seeder: A Punjab farmer has creatively integrated a Happy Seeder with a rotavator, reducing the need to burn stubble and allowing for wheat sowing directly among the leftover stubble. This machine is affordable, costing only Rs 35,000.

  3. Functionality and Efficiency: The combined machine uses a tractor for both plowing and sowing, ensuring that wheat is sown evenly without the need for traditional plowing. This method promotes zero tillage, which conserves water and reduces the overall costs associated with the farming process.

  4. Cost-Effectiveness: Compared to expensive commercial alternatives, this indigenous machine is cost-effective, benefiting farmers by lowering expenses related to stubble management and irrigation.

  5. Improved Farming Practices: The use of this Desi Jugaad not only simplifies sowing but also leads to savings in diesel usage, showcasing how innovative solutions can enhance productivity and sustainability in farming.


Complete News In Hindi(पूरी खबर – हिंदी में)

देसी जुगाड़ हर जगह महत्वपूर्ण है। इसके जरिए बड़े काम आसान हो जाते हैं। खेती में इसके कई फायदे हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन यहां हाई-टेक तकनीक की भारी कमी है। यही एक कारण है कि किसान अपेक्षित उपज नहीं पा रहे हैं। हालांकि, किसान हाई-टेक तकनीक की कमी पर रोते नहीं हैं, बल्कि अपनी खुद की तकनीक बनाते हैं, वह भी देसी जुगाड़ के जरिए। ऐसा ही एक जुगाड़ पंजाब के एक किसान ने बनाया है।

इस किसान ने रोटावेटर में हैप्पी सीडर मशीन लगाई है। इस मशीन की कीमत केवल 35,000 रुपये है। इस मशीन का फायदा यह है कि किसान को खेत में पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह मशीन पराली के बीच में गेहूं बोती है। इससे पराली हटाने का खर्च बचता है और गेहूं बोना भी बहुत आसान हो जाता है। लुधियाना के इस किसान ने कम खर्च में बड़ा काम किया है।

रोटावेटर पर लगा हैप्पी सीडर

यह स्वदेशी मशीन रोटावेटर पर लगी हुई है। इस मशीन में बीज रखे जाते हैं। रोटावेटर और हैप्पी सीडर दोनों ट्रैक्टर पर लगाए जाते हैं। ये दोनों मशीनें ट्रैक्टर के साथ चलती हैं। रोटावेटर खेत को पराली के साथ जुताई करता है, जबकि देसी जुगाड़ का हैप्पी सीडर मशीन खेत में गेहूं बोता है। इससे पूरे खेत में गेहूं समान रूप से बोया जाता है। अगर आप बड़ी कंपनियों का हैप्पी सीडर मशीन खरीदेंगे, तो वह अधिक महंगा पड़ेगा, लेकिन स्वदेशी जुगाड का खर्च बहुत कम है।

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यह स्वदेशी जुगाड़ ऐसा है कि इसका उपयोग बिना जुताई के खेतों में गेहूं बोने के लिए किया जा रहा है। जिस तरह हैप्पी सीडर को ट्रैक्टर से जोड़ा जाता है, उसी तरह किसान ने इस स्वदेशी जुगाड़ मशीन को भी ट्रैक्टर से जोड़ा है। असल में, हैप्पी सीडर मशीन दो भागों में होती है – जीरो टिलेज ड्रिल और रोटर। किसान ने रोटावेटर की मदद से रोटर के रूप में काम किया और उस पर एक स्थानीय जुगाड़ लगाया।

पराली के बीच में गेहूं की बुआई

यह मशीन खेत में फैली पराली के बीच में गेहूं बोती है। इससे बुआई के दौरान सिंचाई के पानी की जरूरत कम हो जाती है। इस देसी जुगाड़ से गेहूं बोने में डीजल की भी बचत होती है क्योंकि यह बड़ी हैप्पी सीडर मशीन की तुलना में छोटी और हल्की है। किसान का कहना है कि इस मशीन ने उसकी कई कार्यों को आसान बना दिया है और खेती की लागत को कम कर दिया है।

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Complete News In English(पूरी खबर – अंग्रेज़ी में)

Desi Jugaad is important everywhere. With this, big tasks become easier. It has many benefits in farming. India is an agricultural country, but there is a huge lack of high-tech technology here. This is also one of the reasons for not getting the desired yield. However, farmers do not cry for high-tech technology, rather they create their own technology. That too with desi jugaad. One such jugaad has been made by a farmer from Punjab.

This farmer has installed Happy Seeder machine in Rotavator. The cost of this machine is only Rs 35000. The advantage of this machine was that the farmer no longer needed to burn stubble in the field. This is a machine which sows wheat among the stubble. This saves the cost of removing stubble and also makes sowing of wheat very easy. This farmer from Ludhiana has done his big work with less expense.

Happy seeder installed on rotavator

This indigenous machine has been installed on a rotavator. This machine has a container in which the seeds are kept. Both these machines of Rotavator and Happy Seeder are installed on tractors. Both these machines run with the tractor. While the Rotavator plows the field along with the stubble, the Happy Seeder machine of Desi Jugaad sows wheat in the beds. Due to this, wheat is sown evenly in the entire field. If you buy Happy Seeder machine of big companies, it will cost more, but the cost of indigenous Jugaad is very less.

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This indigenous Jugaad is such that it is being used in sowing wheat in the fields without ploughing. Just as the Happy Seeder is run by connecting it to a tractor, similarly the farmer has also run this indigenous Jugaad machine by connecting it to the tractor. Actually, Happy Seeder machine consists of two parts – zero tillage drill and rotor. The farmer took the help of Rotavator in the form of rotor and installed a local jugaad on it.

sowing of wheat among stubble

This is a machine which sows wheat amidst the stubble spread in the field. This reduces the need for irrigation water during sowing. Diesel is also saved when sowing wheat with this desi jugaad because it is smaller and lighter than the big Happy Seeder machine. The farmer says that this machine has made many of his tasks easier and has reduced the cost of farming.

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